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चीन के भरोसे BRICS बैंक में एंट्री चाह रहा पाकिस्तान, उद्योग और कृषि में बढ़ाएगा चीनी निवेश

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इस्लामाबाद | आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई राह तलाशने में जुट गया है। अपने कर्ज और वित्तीय संकट से उबरने की जद्दोजहद में लगा पाकिस्तान अब ब्रिक्स (BRICS) देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) में शामिल होने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। इसके लिए उसने अपने “हमेशा के साथी” चीन से औपचारिक मदद मांगी है।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने चीन को यह पेशकश की है कि अगर बीजिंग उसे एनडीबी की सदस्यता दिलाने में सहयोग करता है, तो चीनी कंपनियों को पाकिस्तान में निवेश के लिए विशेष अवसर दिए जाएंगे।

चीन से मदद की गुहार

शुक्रवार को वॉशिंगटन में हुई एक अहम बैठक में पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगज़ेब ने अपने चीनी समकक्ष लियाओ मिन से मुलाकात की। इस बैठक का मुख्य विषय पाकिस्तान की एनडीबी में सदस्यता रहा। औरंगज़ेब ने चीन से आग्रह किया कि वह इस दिशा में “निर्णायक भूमिका” निभाए। बदले में उन्होंने तकनीक, कृषि, औद्योगिक और खनिज क्षेत्रों में चीनी निवेश बढ़ाने का वादा किया।

एनडीबी क्या है?

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना ब्रिक्स देशों — ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका — ने मिलकर 2015 में की थी। इसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग उपलब्ध कराना है। इस बैंक को पश्चिमी वित्तीय संस्थानों के विकल्प के रूप में देखा जाता है।

पाकिस्तान की तैयारी

पाकिस्तान की इकोनॉमिक कोऑर्डिनेशन कमेटी (ECC) ने इसी साल फरवरी में एनडीबी में 582 मिलियन डॉलर मूल्य के शेयर खरीदने की मंजूरी दी थी। फाइनेंस डिवीजन के अनुसार, ECC ने पाकिस्तान की सदस्यता के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है और औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

पहले भी नाकाम रहा है पाकिस्तान का प्रयास

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने ब्रिक्स से जुड़ने की कोशिश की हो। नवंबर 2024 में इस्लामाबाद ने ब्रिक्स समूह की पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन किया था। उस समय चीन ने उसका समर्थन करने का भरोसा दिया था, लेकिन भारत और चीन के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के बाद पाकिस्तान की उम्मीदें टूट गईं। उस बैठक में तुर्की को साझेदार देश के रूप में शामिल किया गया, जबकि पाकिस्तान को बाहर रखा गया।

भारत का रुख सख्त

भारत ने स्पष्ट किया था कि ब्रिक्स में नए देशों की सदस्यता पर सर्वसम्मति आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि किसी भी देश को शामिल करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी संस्थापक सदस्य — भारत, रूस, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका — इस पर सहमत हों। इसी नीति के चलते पाकिस्तान का रास्ता कठिन बना हुआ है।

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की एनडीबी सदस्यता की कोशिश केवल उसकी आर्थिक मजबूरियों का संकेत नहीं है, बल्कि यह चीन पर उसकी बढ़ती निर्भरता का भी प्रतीक है। अब देखना यह होगा कि क्या बीजिंग इस बार अपने मित्र इस्लामाबाद को ब्रिक्स की दहलीज तक पहुंचा पाता है या नहीं।

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Kailash Jaiswal

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