“जन्माष्टमी पर ननिहाल से भेजे गए विशेष परिधान में सजें श्रीरामलला, अयोध्या में भव्य उत्सव”

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BBN24/27 अगस्त 2024:  जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर अयोध्या में श्रीरामलला का दिव्य श्रृंगार एक अनूठी घटना के रूप में उभरा है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली जन्माष्टमी है जब प्रभु श्रीरामलला ने बस्तर के श्रमसाधकों द्वारा तैयार किए गए विशेष पीले खादी सिल्क वस्त्र पहनकर श्रद्धालुओं के समक्ष प्रकट हुए हैं। यह वस्त्र न केवल उनकी दिव्यता को और भी निखारता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और कड़ी मेहनत का भी प्रतीक है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस विशेष अवसर पर कहा कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर श्रीरामलला को बस्तर के शिल्पियों द्वारा निर्मित पीली खादी सिल्क से तैयार वस्त्र पहनाना एक सौभाग्य की बात है। बस्तर के शिल्पकारों ने इस वस्त्र को स्नेह और श्रद्धा से बुना है, और यह वस्त्र न केवल राम के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है, बल्कि छत्तीसगढ़ की परंपराओं और संस्कारों को भी उजागर करता है।

मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि बस्तर, जिसे दंडकारण्य भी कहा जाता है, जहां भगवान राम ने अपने वनवास का अधिकांश समय व्यतीत किया, वहां के शिल्पकारों द्वारा इस विशेष परिधान को तैयार करना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए गर्व का क्षण है। यह वस्त्र केवल एक परिधान नहीं है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्य और भांचा राम के प्रति हमारी अनन्य भक्ति का प्रतीक है। असली स्वर्ण-चूर्ण से हस्तछपाई की गई इस खादी सिल्क ने बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को और भी गौरवान्वित किया है।

जन्माष्टमी के दिन अयोध्या में श्रीरामलला की भव्य पूजा और उत्सव मनाए गए। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया, और भोग के लिए पंजीरी, पंचामृत, तथा विभिन्न व्यंजन तैयार किए गए। इस पावन अवसर पर कीर्तन और भजन का आयोजन भी किया गया, जिससे माहौल में भक्ति और उल्लास की लहर दौड़ गई।

इस विशेष दिन ने न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारत में श्रीरामलला की दिव्यता और भक्ति की भावना को पुनर्जीवित किया है। बस्तर से भेजे गए इस विशेष वस्त्र ने सभी को यह याद दिलाया है कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक श्रद्धा कितनी अमूल्य है।