अबूझमाड़ में नक्सलियों के गढ़ ‘‘एडजूम’’ में खुला नया सुरक्षा एवं जन सुविधा कैम्प

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सल विरोधी ‘‘माड़ बचाव अभियान’’ के तहत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। थाना ओरछा क्षेत्र के ग्राम एडजूम, जो लंबे समय से माओवादियों का आश्रय स्थल माना जाता था, अब सुरक्षा बलों की मौजूदगी से सुरक्षित हो गया है। यहां नारायणपुर पुलिस और आईटीबीपी की 38वीं वाहिनी ने संयुक्त रूप से नवीन ‘‘एडजूम सुरक्षा एवं जन सुविधा कैम्प’’ की स्थापना की है।
यह कैम्प अबूझमाड़ में पिछले एक साल के भीतर खोला गया 16वां सुरक्षा कैम्प है। भारी बारिश और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने एडजूम में डेरा डाल दिया। यह कैम्प थाना ओरछा से करीब 5 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थापित किया गया है।
कैम्प की स्थापना के दौरान पुलिस अधीक्षक नारायणपुर रॉबिनसन गुड़िया (भा.पु.से.) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने आसपास के ग्राम एडजूम, दुलूर, इर्दवाया और अन्य गांवों से आए ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। ग्रामीणों ने बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग रखी, जिस पर शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया गया। साथ ही जल्द ही ‘‘नियद नेल्लानार’’ अभियान के तहत जन समस्या निवारण शिविर आयोजित करने और बेड़माकेाटी तक बस सेवा शुरू करने की घोषणा की गई।
ग्रामीणों ने नक्सलियों द्वारा मारे गए अपने साथियों को याद करते हुए नक्सलवाद की प्रताड़ना को व्यक्त किया और कैम्प खुलने पर राहत की सांस ली। उनका कहना था कि अब वे भयमुक्त होकर सामान्य जीवन जी पाएंगे।
अधिकारियों का मानना है कि एडजूम कैम्प से न केवल नक्सल विरोधी अभियानों को बल मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में विकास कार्यों—जैसे सड़क, पुल-पुलिया, शिक्षा, स्वास्थ्य और मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी—को भी गति मिलेगी। अब तक नक्सल विचारधारा से प्रभावित 164 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं, वहीं 2024 से अब तक 96 नक्सली मारे गए और 71 गिरफ्तार किए गए हैं।
नारायणपुर डीआरजी, बस्तर फाइटर और आईटीबीपी की 40वीं, 29वीं और 38वीं वाहिनी ने इस कैम्प की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। बस्तर रेंज के आईजी पी. सुन्दराज और कांकेर रेंज के डीआईजी अमित कांबले के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त बस्तर का सपना साकार करना है।
एडजूम कैम्प की स्थापना नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक और मजबूत कदम है, जो अबूझमाड़ के विकास और शांति की नई राह खोल रहा है।