1 नवंबर से लागू होंगे आरबीआई के नए नियम: अब बैंक अकाउंट और लॉकर के लिए अनिवार्य होगी नॉमिनेशन सुविधा

नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ग्राहकों की सुविधा और पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए बैंक खातों, सेफ डिपॉजिट लॉकरों और सेफ कस्टडी से जुड़े नॉमिनेशन (नामांकित व्यक्ति) से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नियम 1 नवंबर 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएंगे।
आरबीआई के नए निर्देशों के मुताबिक, देश के सभी बैंक — चाहे वे सरकारी, निजी, सहकारी या ग्रामीण बैंक हों — अपने ग्राहकों को नॉमिनेशन सुविधा प्रदान करना अनिवार्य करेंगे। ग्राहक अगर चाहें, तो लिखित घोषणा देकर नॉमिनेशन से इंकार कर सकते हैं। इस स्थिति में बैंक को खाता खोलने या सेवा देने में कोई देरी करने की अनुमति नहीं होगी।
तीन कार्य दिवस में बैंक को देना होगा नॉमिनेशन का प्रमाण
नए नियमों के अनुसार, बैंक को ग्राहक से नॉमिनेशन फॉर्म प्राप्त होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर उसकी रसीद जारी करनी होगी। साथ ही बैंक को ग्राहक की पासबुक या टर्म डिपॉजिट रसीद पर “Nomination Registered” का उल्लेख करना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा, खाते के आधिकारिक रिकॉर्ड में भी नॉमिनी का नाम दर्ज करना आवश्यक रहेगा ताकि आगे किसी भी विवाद की स्थिति में स्पष्टता बनी रहे।
नॉमिनेशन बदलने या रद्द करने की भी सुविधा
आरबीआई ने यह भी सुनिश्चित किया है कि ग्राहक को नॉमिनेशन दर्ज करने, रद्द करने या उसमें बदलाव करने की पूरी सुविधा मिले। हर बदलाव के बाद बैंक को लिखित प्रमाण (acknowledgement) ग्राहक को देना होगा।
यदि किसी कारण से बैंक नॉमिनेशन को अस्वीकार करता है, तो उसे तीन कार्य दिवसों के भीतर लिखित रूप में ग्राहक को उसका कारण बताना अनिवार्य होगा।
एक से अधिक नॉमिनी होने पर लागू होंगे विशेष प्रावधान
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी खाते में एक से अधिक नॉमिनी दर्ज हैं और उनमें से किसी एक नॉमिनी की मृत्यु पैसे प्राप्त करने से पहले हो जाती है, तो उस नॉमिनी का अधिकार स्वतः समाप्त माना जाएगा।
यह व्यवस्था आरबीआई की पूर्व की उन गाइडलाइनों के अनुरूप है, जिनमें यह कहा गया है कि मृत ग्राहकों के दावों का निपटारा 15 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।
खाता धारक की मृत्यु के बाद धनराशि का प्रबंधन
नई गाइडलाइन के तहत, यदि खाते में वैध नॉमिनेशन या सर्वाइवरशिप क्लॉज (Survivorship Clause) मौजूद है, तो खाता धारक की मृत्यु की स्थिति में बैंक सीधे नॉमिनी या वैध उत्तराधिकारी को धनराशि जारी कर सकेगा। इससे ग्राहकों के परिवारों को तेजी से और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत आर्थिक सहयोग मिल सकेगा।
ग्राहकों की सुरक्षा और सुविधा की दिशा में बड़ा कदम
आरबीआई का यह निर्णय बैंकिंग प्रणाली को अधिक पारदर्शी, ग्राहक-केंद्रित और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है। इन नए नियमों से खाताधारकों और उनके परिवारों को निधन के बाद दावों के निपटान में आने वाली परेशानियों से राहत मिलने की उम्मीद है।



