छत्तीसगढ़भाटापारा

प्रशासन के निर्धारित मापदण्डों को लेकर होटलों के मिठाई व अन्य तैलीय पदार्थों के गुणवत्ता को लेकर जाँच का अभाव

मांग व पूर्ति को पूरा करने को लेकर नही दिया जाता गुणवत्ता व मापदण्डों पर ध्यान

भाटापारा: इन दिनों शहर मे खानपान के गुणवत्ता मापदण्डों मे लगातार अनदेखी बरती जा रही है थोडे समय मे अधिक लाभ के लालच मे अनेक होटल व्यवसायी गुणवत्ता मापदंडों को अनदेखी कर रहे है जिसका सीधा आम उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर सीधा पडता है

आलू जल्द उबालने मे केमिकल प्रयोग का आशंका
गौरतलब है की होटलों मे नाशते के रुप मे सबसे अधिक उपयोग आलू का ही होता है जिससे सबसे अधिक डिमांड मे रहने वाला नाशता समोसा व आलूगुन्डा मे इसका सबसे अधिक उपयोग होता है परंतु इतने कम समय मे आलू का उबल जाना व मनचाहे पूर्ति हो जाना भी अनेक सवालों व आशंकाओं को भी पैदा करता है वही आलूगुन्डा मे डाले जाने वाले सोडा का भी क्या मापदण्ड होना चहिये इन सभी बातों को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा भी आज तक कोई निरीक्षण नही किया गया जबकि निर्धारित मापदंड से अधिक सोडा बेसन मे डाला जाना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है वही उपयोग होने वाले तैलो के गुणवत्ता मापदण्डों को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग ने कोई भी निरीक्षण कर कारवाई नही किया गया है गौरतलब है की गुणवत्ता विहीन तैल का उपभोग करना लिवर हार्ट के लिए सबसे बडा नुकसान दायक होता है कई बार पैसे के बचत के लालच मे बचे हुये तैलो को डढहेल तैल का रुप मे उपयोग कर देने अनेक प्रकार स्वास्थ्य सम्बंध तकलीफें भी उपभोक्ता उठाना पड जाता है जिसकी निरीक्षण खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा शहर के होटलों मे जाकर समय समय पर नही किया जाता

दूध की मिठाई व खोवे पर भी एक नजर
गौरतलब है कि मिठाईयों का सबसे अधिक डिमांड त्यौहारों मे रहता है और प्रायः सभी मिठाइयाँ दूध से बनाई जाती है परंतु गौरतलब है कि मिठाई का उत्पादन उतना ही हो सकता है जितना दूध का सम्बंधित प्रतिष्ठान के पास सप्लाई होता है परंतु देखा जाता है कि 50 किलो दूध की सप्लाई होने पर भी मिठाइयों का निर्माण 100 किलों के दूध के बराबर हो जाता है जिसका जाँच नही किया जाता और त्यौहारी मांग व पूर्ति के बीच गुणवत्ता मापदण्ड दब जाता है वही निर्मित मिठाइयों का एक निर्धारित एक्पायरी डेट का उल्लेख किया जाना निर्धारित होता है परंतु मिठाई दुकानों मे उक्त उत्पादन व निष्पादन के तिथि का कोई उल्लेख नही किया जाता

खाद्य व सुरक्षा विभाग भी जाँच के नाम पर खानापूर्ति
साल मे कभी कभी खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा निरीक्षण कर लिया जाता है तो जाँच सेम्पल के नाम पर उक्त कार्यवाही को लम्बे समय तक खीचकर ठंडे बस्ते मे डाल देते है और लोग गुणवत्ता मापदण्डों को लेकर कि हुई कारवाई को भूल जाते ह

त्यौहारी सीजन मे नकली खोवा खपाये जाने पर बल
राजधानी में त्योहार के समय रायपुर बनारस, नागपुर, इंदौर और कुछ अन्य शहरों से नकली खोवा मंगाया जाता है। इस साल इसकी आवक होना तय है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त तथ्य सामने आया है कि खोवा बनाने के लिए 200 मिलीलीटर दूध में 10 ग्रामचाशिंग पाउडर, यूरिया, 800 एमएल रिफाइंड तेल या घटिया वनस्पति घी को पानी में डालकर मिलाया जाता है। इस तरह 1 लीटर दूध से 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। इसी सिंथेटिक दूध से खोवा बनाया होता है। इस तैयार खोवे को असली खोवा बताकर दुकानदारों को बेचा जाता है। यह सेहत के लिए खतरनाक होता है वही शहर ऐसे कई मिठाई दुकाने व होटल संचालित हो रहा है जो पंजीकृत नही परंतु खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा ऐसे मामलों मे कोई कारवाई नही करने यह भर्राशाही धडल्ले के साथ अपना पैर पसार रहा है।

कलेक्टर… चंदन कुमार…. होटलो मे गुणवत्ता एवं साफ सफाई के संबध मे कहा कि जल्द जांचकर ठोस कार्यवाही किये जाने की बात कही।

उमेश वर्मा…जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि होटलो मे साफ सफाई व वहां बनने वाले खाद्य सामग्री की सघन जांच पडताल किया जायेगा।

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Kailash Jaiswal

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