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Kartik Purnima 2025: गंगा स्नान और दीपदान से मिलेगा अक्षय पुण्य, , जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा-विधि

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Kartik Purnima 2025:  कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के सबसे पवित्र दिनों में से एक है। यह दिन कार्तिक मास का समापन करता है और इसे “देव दीपावली” तथा “त्रिपुरारी पूर्णिमा” के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर उतरकर गंगा में स्नान करते हैं। इसलिए यह पर्व न केवल भक्ति का, बल्कि दिव्य आस्था का उत्सव भी है।

यह वही तिथि है जब गंगा के तट दीपों से जगमगा उठते हैं, भक्त स्नान, व्रत और दान के माध्यम से ईश्वर की आराधना करते हैं। संयोगवश इस वर्ष यह दिन गुरु नानक जयंती के साथ भी मनाया जाएगा, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।

देव दीपावली का आध्यात्मिक महत्व

देव दीपावली का अर्थ ही है — “देवताओं की दीपावली”। मान्यता है कि इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद भगवान शिव के सम्मान में देवताओं ने दीप प्रज्ज्वलित किए थे। तभी से यह पर्व देव दीपावली के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस दिन गंगा किनारे दीपदान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में समृद्धि, सौभाग्य तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है।

भक्त इस अवसर पर भगवान विष्णु, शिव और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं। सत्यनारायण कथा का पाठ, दान-पुण्य और दीपदान को अत्यंत शुभ माना गया है।

देव दीपावली 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवंबर 2025, रात्रि 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 नवंबर 2025, सायं 6:48 बजे
  • गंगा स्नान मुहूर्त: प्रातः 4:52 से 5:44 बजे तक
  • पूजा का श्रेष्ठ समय: प्रातः 7:58 से 9:20 बजे तक

इन शुभ समयों में किया गया स्नान, दीपदान और पूजन अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है।

कार्तिक पूर्णिमा की पूजा-विधि

  1. स्नान और शुद्धि: प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करें।
  2. पूजन सामग्री: फूल, दीपक, धूप, चावल, तिल, फल और घी से भगवान विष्णु व शिव की पूजा करें।
  3. कथा और व्रत: सत्यनारायण कथा का श्रवण करें और पूरे दिन व्रत का पालन करें।
  4. दीपदान: गंगा, तालाब या अपने घर के आंगन में दीप जलाएं — यह देवताओं को प्रसन्न करने का प्रतीक है।
  5. दान: जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें, यह कर्म अत्यंत मंगलकारी माना गया है।

कार्तिक पूर्णिमा क्यों है विशेष

यह दिन केवल पूजा और दीपदान का नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का पर्व है। भगवान विष्णु और शिव की आराधना से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष — चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। इस दिन किया गया हर सत्कर्म कई गुना फल देता है।

5 नवंबर 2025 की कार्तिक पूर्णिमा एक ऐसा अवसर है जब श्रद्धा, भक्ति और प्रकाश एक साथ मिलकर देवत्व का अनुभव कराते हैं। देव दीपावली का यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि सच्चा प्रकाश केवल दीपों का नहीं, बल्कि भीतर के आत्मिक उजास का होता है।

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Kailash Jaiswal

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