ईरान का सख्त रुख: खामेनेई ने अमेरिका संग सीधी बातचीत से किया इंकार

तेहरान | ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने रविवार को स्पष्ट कर दिया कि अमेरिका के साथ सीधी वार्ता की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन ईरान पर अपनी शर्तें थोपना चाहता है, लेकिन इस्लामी गणराज्य कभी भी दबाव के आगे झुकेगा नहीं।
खामेनेई ने अपने भाषण में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से जारी अमेरिकी शत्रुता का जिक्र करते हुए कहा, “अमेरिका की असली मांग यह है कि हम उसकी इच्छा के अनुसार चलें, जबकि यह हमारी संप्रभुता और जनता के आत्मसम्मान के खिलाफ है।”
हालिया हमलों पर प्रतिक्रिया
उन्होंने जून में ईरान के परमाणु स्थलों पर हुए हमलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इजरायल और अमेरिका मिलकर देश को अस्थिर करना चाहते थे। खामेनेई के अनुसार, हमलों का जवाब देकर ईरान ने यह दिखा दिया कि वह किसी भी दबाव से डरने वाला नहीं है।
विपक्षी साजिशों का आरोप
खामेनेई ने दावा किया कि हमले के अगले ही दिन कुछ समूहों ने यूरोप में बैठक कर “ईरान के बाद की व्यवस्था” पर चर्चा की थी, जिसमें राजशाही शासन की वापसी तक का प्रस्ताव सामने आया। उन्होंने कहा कि जनता की एकजुटता ने इन योजनाओं को पूरी तरह विफल कर दिया।
राष्ट्रपति और जनता के नाम संदेश
उन्होंने राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का समर्थन करते हुए ईरानियों से आंतरिक एकता बनाए रखने की अपील की और चेतावनी दी कि शत्रु देश अब भीतर से विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
गाजा और क्षेत्रीय संघर्ष
गाजा में जारी इजरायली कार्रवाई की आलोचना करते हुए खामेनेई ने पश्चिमी देशों से अपील की कि वे इजरायल को समर्थन देना बंद करें। साथ ही, यमन के हूती लड़ाकों द्वारा इजरायल पर किए गए हमलों को उन्होंने “वैध प्रतिरोध” करार दिया।
रिश्तों में सुधार की उम्मीद नहीं
गौरतलब है कि 1979 की इस्लामी क्रांति और अमेरिकी दूतावास में बंधक संकट के बाद से ही ईरान-अमेरिका संबंध टूटे हुए हैं। दशकों से वाशिंगटन ने तेहरान पर कई दौर के प्रतिबंध लगाए हैं। खामेनेई का ताजा बयान यह संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच नजदीकी की संभावना अभी दूर की बात है।
अंततः, खामेनेई के संदेश से यह साफ हो गया है कि ईरान किसी भी कीमत पर अपनी नीतियों और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।