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भव‍िष्‍य में बीमारी होने पर हर बार नहीं खानी होगी दवा, ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म से होगा इलाज

Future of Medicine: जैसे-जैसे तकनीक आगे की ओर बढ़ रही है, हमें नई-नई उम्‍मीदें म‍िल रही हैं। ऐसी ही एक तकनीक के बारे में हम आज बात करेंगे ज‍िसे ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म का नाम द‍िया गया है।ऐसा माना जा रहा है क‍ि यह तकनीक दवाओं को काफी हद तक र‍िप्‍लेट कर देगी। हम क‍िसी भी बीमारी को ठीक करने के ल‍िए दवाओं का सेवन करते हैं। लेक‍िन ये दवाएं हमारी सेहत के ल‍िए नुकसानदायक होती हैं।जो लोग लंबे समय से क‍िसी दवा का सेवन कर रहे हैं, उनके शरीर में दवाओं के बड़े दुष्‍प्रभाव देखने को म‍िलते हैं। बहुत से लोगों को दवाएं सूट नहीं करतीं, लेक‍िन बीमार होने पर उन्‍हें दवाओं का सेवन करना पड़ता है। लेक‍िन ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म की मदद से बीमारी का इलाज भी हो जाएगा और शरीर पर इसका कोई बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। इसी को संभव करने के ल‍िए ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म को व‍िकस‍ित क‍िया जा रहा है। आगे इस तकनीक के बारे में व‍िस्‍तार से जानेंगे।

ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म क्‍या है?- What is Artificial Life Form

ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म को आप छोटे रोबोट के रूप में देख सकते हैं। यह एक छोटी प‍िन के साइज की हो सकती है। इलाज के ल‍िए इसे व्‍यक्‍त‍ि के शरीर में भेजा जाएगा। ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म वायरस या बीमारी की जड़ को पकड़कर उसे टार्गेट करेगा और खत्‍म करने का प्रयास करेगा। इस तकनीक का इस्‍तेमाल वायरल इन्‍फेक्‍शन से न‍िपटने के ल‍िए क‍िया जा सकता है। इस तकनीक को यूएस की साउथर्न डेनमार्क एंड केंट स्‍टेट यू‍न‍िवर्स‍िटी की टीम ने बनाया है। फ‍िलहाल इस तकनीक पर स्‍टडी की गई है ज‍िसे अंतरराष्ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य व‍िभाग से मंजूरी म‍िलने के बाद बनाना शुरू क‍िया जाएगा।

study link: https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2666386423004332?via%3Dihub

नई तकनीक से क‍िन बीमार‍ियों का इलाज होगा?ऑर्ट‍िफ‍िश‍ियल लाइफ फॉर्म की मदद से फ्लू और वायरल बीमार‍ियों का इलाज करने में मदद म‍िलेगा। वैश्विक महामारी कोव‍िड 19 को देखते हुए भी वैज्ञान‍िक भव‍िष्‍य में ऐसी बीमार‍ियों से न‍िपटने का प्‍लान तैयार करेंगे, जो बीमारी को लंबी तादाद में फैलने से रोक सके। मीड‍िया र‍िपोर्ट्स की मानें, तो फ‍िलहाल इस तकनीक को पूरी तरह से व‍िकस‍ित होने में समय लगेगा। वैज्ञान‍िक और एक्‍सपर्ट्स इस तकनीक पर तेजी से काम कर रहे हैं, लेक‍िन पूरी तरह से इस तकनीक को आम लोगों तक पहुंचने में 10-12 साल लग सकते हैं।

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Kailash Jaiswal

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