युवा स्टंटबाजी से नाराज़ हाईकोर्ट, कानून-व्यवस्था पर सवाल—पुलिस को अल्टीमेटम

बिलासपुर :छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सड़क पर स्टंटबाजी, बर्थडे सेलिब्रेशन और केक कटिंग जैसी खतरनाक हरकतों पर एक बार फिर कड़ा रूख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि पुलिस की कार्रवाई केवल दिखावे तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि ऐसी होनी चाहिए जो अपराधियों को सबक सिखाए और दोबारा घटना न हो। कोर्ट ने स्टंटबाजी पर निगरानी व्यवस्था मजबूत करने और सख्त अमल के निर्देश दिए।
21 नवंबर की सुनवाई में मुख्य सचिव ने हलफनामा प्रस्तुत कर जानकारी दी कि 25 अक्टूबर को मंत्रालय में हुई आईजी कॉन्फ्रेंस में सभी कलेक्टर और एसपी को कठोर निर्देश जारी किए गए थे। पीएचक्यू ने भी इस संबंध में आदेश प्रसारित किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब्त वाहन शर्तों और बांड के साथ छोड़े जा सकते हैं, लेकिन यदि एक साल के भीतर दोबारा अपराध होता है तो जब्ती के साथ पेनाल्टी भी अनिवार्य की जाए।
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि पुलिस अकसर गरीब और मध्यम वर्ग पर कठोरता दिखाती है, जबकि बाहुबली और संपन्न वर्ग पर नरमी बरतती है। इसी संदर्भ में पिछली सुनवाई में बिलासपुर के लावर क्षेत्र में जब्त 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना न छोड़ने का निर्देश दिया गया था।
शासन ने जवाब में बताया कि पुलिस लगातार विशेष अभियान चलाकर स्टंट में शामिल वाहनों को जब्त कर रही है। कई मामलों में ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश भी की गई है और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान व कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्टंटबाजी करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि यह दूसरों के लिए नजीर बने और आम नागरिक सड़क पर सुरक्षित महसूस कर सकें—यही निर्देशों का मूल उद्देश्य है।



