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Govatsa Dwadashi 2025: गौ माता की आराधना से आती है घर में समृद्धि और सौभाग्य

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Govatsa Dwadashi 2025:  हिंदू धर्म में गौ माता को धरती की पालनकर्ता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इसी श्रद्धा के भाव से हर वर्ष गोवत्स द्वादशी (जिसे बछ बारस, नंदिनी व्रत या वत्स द्वादशी भी कहा जाता है) मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से गौ माता और उनके बछड़े को समर्पित होता है और दीपावली उत्सव की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है। महाराष्ट्र में इसे वासु बारस और गुजरात में वाघ बरस के रूप में जाना जाता है।

गोवत्स द्वादशी 2025 कब है?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है।
इस वर्ष गोवत्स द्वादशी शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है।

तिथि

  • प्रारंभ: 17 अक्टूबर 2025, सुबह 11:12 बजे
  • समाप्ति: 18 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:18 बजे

पूजा का शुभ मुहूर्त

  • प्रदोष काल में पूजन को अत्यंत मंगलकारी माना गया है।
  • पूजा प्रारंभ: 17 अक्टूबर, शाम 05:49 बजे
  • पूजा समाप्ति: 17 अक्टूबर, रात 08:20 बजे
  • कुल अवधि: 2 घंटे 31 मिनट

पूजा विधि

इस दिन घर को स्वच्छ करके उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा स्थल सजाया जाता है। गौ माता और उनके बछड़े को स्नान कराकर हल्दी, दूर्वा, पुष्प और जल से पूजन किया जाता है। महिलाएं परिवार के कल्याण, संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन गाय के दूध और उससे बने उत्पादों का सेवन नहीं किया जाता — यह व्रत का प्रमुख नियम है।

 पर्व का महत्व

  • गोवत्स द्वादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि गौ संरक्षण और सेवा की भावना को जागृत करने का प्रतीक है।
  • मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से पूजा करता है, उसके घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
  • यह दिन हमें याद दिलाता है कि गौ माता का सम्मान और पालन हमारे धर्म, संस्कृति और जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

गोवत्स द्वादशी हमें सिखाती है कि सच्ची समृद्धि केवल धन से नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और श्रद्धा से आती है।

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Kailash Jaiswal

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