Gold-Silver Boom: दिवाली से नए साल तक कीमतों में जबरदस्त तेजी की आशंका

नेशनल डेस्क: देशभर में धनतेरस के साथ ही त्योहारी सीजन ने बाजारों में जबरदस्त रौनक ला दी है। दुकानों पर खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है, लेकिन इसी बीच सोने और चांदी के आसमान छूते दामों ने लोगों को हैरान कर दिया है। सर्राफा बाजार में कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुकी हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़त यहीं थमने वाली नहीं है — बल्कि दिवाली और 2026 की शुरुआत तक सोने-चांदी दोनों में और उछाल देखने को मिल सकता है।
सोने-चांदी के भावों में नई छलांग
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल धनतेरस पर सोना 1.5 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी करीब 2 लाख रुपये प्रति किलो तक जा पहुंची है। रिपोर्ट का अनुमान है कि दिवाली (20 अक्टूबर) के दिन इनकी कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।
2026 की शुरुआत तक जारी रह सकती तेजी
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि भारत में सोने की कीमतें अगले कुछ महीनों में और बढ़ सकती हैं। इसके पीछे कई प्रमुख वजहें हैं—
- डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी
- वैश्विक ब्याज दरों में बढ़ोतरी
- त्योहारों और शादी के सीजन में घरेलू मांग का बढ़ना
- क्या रहेगा 2025 के अंत और 2026 की शुरुआत का ट्रेंड
विशेषज्ञों का अनुमान है कि साल 2025 के अंत तक सोने के दाम ₹1.20 लाख से ₹1.35 लाख प्रति 10 ग्राम के बीच रह सकते हैं। यदि रुपये में और गिरावट आती है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें बढ़ती रहीं, तो 2026 की पहली छमाही में यह ₹1.45 लाख प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है।
आखिर क्यों बढ़ रहे हैं दाम?
रिपोर्ट बताती है कि आने वाले महीनों में रुपये की विनिमय दर ₹87–₹89 प्रति डॉलर तक जा सकती है, जिससे आयातित सोना और महंगा होगा। वहीं, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के माहौल में निवेशक सोने को एक “सुरक्षित निवेश विकल्प” के रूप में देख रहे हैं। इसके अलावा—
- केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद
- गोल्ड ETF में निवेशकों की दिलचस्पी
- चीन और जापान जैसे एशियाई देशों से बढ़ती मांग
भी इस तेजी के पीछे अहम कारण माने जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का पूर्वानुमान
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण परिषद (GJC) के संस्थापक सदस्य अनंथा पद्मनाभन के मुताबिक, आने वाले महीनों में सोने की कीमतें ₹1.50 लाख प्रति 10 ग्राम के आंकड़े को पार कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि “केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी और एशियाई बाजारों में बढ़ती मांग से कीमतों में यह ऐतिहासिक उछाल देखने को मिल रहा है।”



