भाटापारा कृषि मंडी में अव्यवस्था चरम पर, प्रशासन की लापरवाही से किसान-व्यापारी बेहाल
तीन दिन बंदी के बाद भी अव्यवस्था जस की तस

भाटापारा।
तीन दिन की रोक के बाद जैसे ही भाटापारा कृषि उपज मंडी में फिर से खरीदी शुरू हुई, अव्यवस्था और भीषण जाम की तस्वीरें सामने आ गईं। किसान घंटों जाम में फंसे रहे, व्यापारी परेशान रहे और प्रशासन सिर्फ बैठकें करता दिखा। न कोई ठोस योजना बनी, न समाधान निकला—हालात पहले से भी बदतर हो चुके हैं
न आश्वासन काम आए, न इंतजाम
भाटापारा मंडी में अव्यवस्था कोई नई बात नहीं, लेकिन इस बार हालात पूरी तरह बेकाबू हो चुके हैं। मंडी प्रशासन ने अचानक बढ़ी आवक के दबाव को नियंत्रित करने में विफलता के बाद 16 से 18 मई तक आवक पर रोक लगाई थी। दावा किया गया था कि इस दौरान व्यवस्था सुधार ली जाएगी, लेकिन चौथे दिन जैसे ही मंडी खुली, फिर वही जाम, वही हड़कंप।
जिम्मेदारों की अनदेखी, न योजना, न समाधान
मंडी में अव्यवस्था नई नहीं है, लेकिन इस बार स्थिति और भी भयावह हो गई है। मंडी प्रशासन द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद न तो जाम की समस्या का हल निकला और न ही फसल लाने वाले किसानों को कोई राहत मिली। योजना के नाम पर सिर्फ आवक रोकने का अस्थायी फैसला लिया गया, जो पूरी तरह विफल साबित हुआ।
प्रशासन की उदासीनता, किसानों को गुस्सा
कड़ी धूप में घंटों इंतजार कर रहे किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन सिर्फ आदेश जारी करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं करता। किसान यह भी कह रहे हैं कि वे खुद श्रमिक के रूप में उतराई-कटाई करने को तैयार हैं, फिर भी मंडी प्रशासन सहयोग नहीं ले रहा। यह साबित करता है कि समस्या के समाधान की नीयत ही नहीं है।
बैठकों का ढोंग और दिशा-निर्देश की दुहाई
मंडी सचिव सी. एल. ध्रुव ने बताया कि लगातार व्यापारियों और विभागों के साथ बैठकें हो रही हैं, यातायात विभाग को भी अवगत कराया गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि समस्या हर दिन और गंभीर होती जा रही है। ‘प्रशासनिक दिशा-निर्देश’ का हवाला देकर किसान सहयोग को नकारना, समाधान से अधिक जिम्मेदारी से बचाव जैसा लग रहा है।
डिजिटल इंडिया में ऐसी तस्वीरें शर्मनाक
एक तरफ सरकार डिजिटल मंडी और सुचारु व्यापार की बात कर रही है, दूसरी तरफ भाटापारा मंडी की अव्यवस्था डिजिटल युग में व्यवस्थागत विफलता की पोल खोल रही है। प्रशासन की लापरवाही, संवादहीनता और निष्क्रियता ने किसानों, व्यापारियों और आम जनता को संकट में डाल दिया है।
फिर हाल भाटापारा मंडी की अव्यवस्था प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। जब तक जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक यह संकट और गहराता जाएगा। समय आ गया है कि मंडी को राजनीति का अखाड़ा बनाने की बजाय, एक कुशल और जवाबदेह प्रबंधन प्रणाली लागू की जाए।