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रायपुर छत्तीसगढ़ के बस्तर के दरभा घाटी के झीरम में नक्सलियों द्वारा कांग्रेस के काफिले पर किए गए हमले की जांच के लिए गठित जांच आयोग का कार्यकाल अब 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है….शासन के समक्ष आयोग ने सौंपा गया कार्य पूरा नहीं होने का हवाला दिया था… जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की सूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई है।
25 मई 2013 को कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी…. कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस परिवर्तन यात्रा में हिस्सा लेते हुए दरभा घाटी के झीरम पहुंचे थे कि, तभी नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया…. अचानक हुए हमले में कांग्रेस नेताओं और उनके सुरक्षा गार्ड को संभलने का मौका तक नहीं मिला…. नक्सलियों ने कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को ढूंढकर गोली मारी….उसके बाद नक्सलियों ने एक एक कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं को मौत के घाट उतार दिया….वही झीरम की जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर वही कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा की झीरम में हमने अपने 32 नेताओं को खोया है….हम चाहते हैं मामले की गहराई से जांच हो….इसलिए आयोग का कार्यकाल 6 माह बढ़ाया गया है…वही रझीरम जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने में पूर्व नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा की झीरम के मामले में कांग्रेस की सरकार राजनीति करने चाहती हैं….वास्तविक यदि गंभीरता होती की परिवार को न्याय मिले तो कार्यकाल में वृद्धि करने की आवश्यकता नही थी….दम के साथ बकलते है हमारे पास साक्ष्य है….आखिर वो साक्ष्य बाहर क्यों नही आ रहा है….लगातार समय मे वृद्धि की जा रही है इससे स्पष्ठ है कि केवल राजनीति करने चाहते है…वही बीजेपी के बयान का जवान देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा की भारतीय जनता पार्टी क्यों जांच रोक रही है….एनआईए जांच पूरी हो गी….फाइनल रिपोर्ट सबमिट कर दी….लेकिन आज तक छत्तीसगढ़ की जनता को और शहीद होने वाले परिवार को नही मिल पाया न्याय…कहा – कानून का आड़ लेकर मामले पर डाला जा रहा पर्दा….मामला उजागर नहीं होने देना चाहती भारतीय जनता पार्टी झीरम हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के 29 नेताओं की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी….वही इलाज के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की भी जान चली गई थी….इस नरसंहार के 10 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन अब भी झीरम के जख्म हरे हैं….आंसुओं और दर्द में आज भी झीरम के पीड़ित डूबे हैं….उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है….दूसरी ओर इस घटना पर राजनीति लगातार जारी है… यही वजह है कि 9 साल बाद भी हम झीरम के गुनहगार तक नहीं पहुंच पाए हैं।