RO.NO. 01
अंतर्राष्ट्रीय

F-16 अपग्रेड पर अमेरिका की मुहर: पाकिस्तान को मिला बड़ा सपोर्ट, भारत सतर्क

Ro no 03

वॉशिंगटन: दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति एक बार फिर चर्चा में है। अमेरिका ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर जेट बेड़े को उन्नत बनाने के लिए 686 मिलियन डॉलर (लगभग 5,800 करोड़ रुपये) के विशाल समर्थन पैकेज को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) ने इस प्रस्ताव को 8 दिसंबर को कांग्रेस के पास भेजा, जिसके बाद भू-राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
अमेरिका का दावा है कि यह अपग्रेड पाकिस्तान की “काउंटर-टेररिज्म क्षमताओं” को मजबूत करेगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए इससे नई सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा होंगी।

पैकेज का सबसे संवेदनशील हिस्सा: Link-16 सिस्टम

इस सैन्य पैकेज में सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला तत्व है लिंक-16 डेटा लिंक सिस्टम, जो अमेरिका और नाटो द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अत्याधुनिक, एन्क्रिप्टेड और हाई-प्रिसिजन संचार नेटवर्क है।
यह सिस्टम युद्ध के दौरान:

  • मित्र और दुश्मन की पहचान
  • हथियारों के तालमेल
  • रियल-टाइम डेटा शेयरिंग
    में बड़ी भूमिका निभाता है।
    सबसे खास बात—इसे जैम करना बेहद मुश्किल है, यानी दुश्मन इसका संचार बाधित नहीं कर सकता।

इसके साथ पैकेज में शामिल हैं:

  • आधुनिक एवियोनिक्स
  • उन्नत क्रिप्टोग्राफिक डिवाइस
  • पायलट प्रशिक्षण
  • सिमुलेशन सिस्टम
  • स्पेयर पार्ट्स
  • टेस्टिंग के लिए 6 निष्क्रिय MK-82 बम

एफ-16 की उम्र बढ़कर 2040 तक

अमेरिकी मंजूरी के बाद पाकिस्तान के लगभग 75 एफ-16 लड़ाकू विमान अगले 15 साल तक पूरी क्षमता में सेवा दे सकेंगे।
भले ही पाकिस्तान ने हाल में चीन से J-10C और JF-17 जैसे विमान लिए हों, लेकिन एफ-16 की सटीकता और अमेरिकी टेक्नोलॉजी उसे विशिष्ट बढ़त देती है।
Link-16 मिलने के बाद पाकिस्तानी पायलट अमेरिकी AWACS और नाटो-स्तर की कमांड नेटवर्क से जुड़ सकेंगे—यह बदलाव किसी भी संभावित मुकाबले में बड़ा सामरिक लाभ माना जा रहा है।

भारत के लिए नई चुनौती क्यों?

भारत अभी मुख्यतः रूसी और इज़रायली तकनीक पर निर्भर है।
Link-16 जैसे सुरक्षित और साझा कमांड नेटवर्क से पाकिस्तान को मिलने वाली क्षमता से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के एफ-16 प्रोग्राम में स्पेयर पार्ट्स तक रोक दिए थे।
अब अचानक इतने बड़े अपग्रेड पैकेज को मंजूरी देना कई रणनीतिक संकेत देता है।

अमेरिका का कहना है कि यह कदम “क्षेत्रीय संतुलन नहीं बिगाड़ेगा”, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तव में यह पाकिस्तान की वायुसेना को नई ताकत देता है।

कांग्रेस के पास 30 दिन, लेकिन मंजूरी तय मानी जा रही

अमेरिकी कांग्रेस इस सौदे पर अगले 30 दिनों में आपत्ति कर सकती है, लेकिन ऐतिहासिक अनुभव बताते हैं कि ऐसे सैन्य समझौते आमतौर पर आसानी से पारित हो जाते हैं।
संभावना है कि यह प्रोजेक्ट लॉकहीड मार्टिन को मिले और डिलीवरी 2026 से शुरू हो जाए।

भारत ने भी तेज की तैयारी

पड़ोसी देश को मिल रही इस सैन्य बढ़त के बीच भारत भी अपने बेड़े को मजबूत करने में जुटा है।
वायुसेना:

  • राफेल
  • सुखोई-30 MKI अपग्रेड
  • स्वदेशी AMCA स्टील्थ फाइटर
    पर तेज़ी से काम कर रही है, ताकि क्षेत्रीय हवाई संतुलन बना रहे।
Share this

Kailash Jaiswal

"BBN24 News - ताजा खबरों का सबसे विश्वसनीय स्रोत! पढ़ें छत्तीसगढ़, भारत और दुनिया की ब्रेकिंग न्यूज, राजनीति, खेल, व्यवसाय, मनोरंजन और अन्य अपडेट सबसे पहले।"

Related Articles

Back to top button