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CRPF-DG और छत्तीसगढ़ पुलिस का साझा खुलासा : कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में सुरक्षाबलों की बड़ी जीत, 31 इनामी नक्सली ढेर, 214 ठिकाने तबाह

बीजापुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की दुर्गम पहाड़ियों में 24 दिनों तक चले अब तक के सबसे बड़े एंटी नक्सल ऑपरेशन ने सुरक्षाबलों को ऐतिहासिक सफलता दिलाई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और छत्तीसगढ़ पुलिस के डीजी अरुण देव गौतम ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अभियान की पूरी जानकारी साझा करते हुए बताया कि ऑपरेशन के दौरान कुल 31 माओवादी मारे गए हैं, जिनमें से 28 की शिनाख्त हो चुकी है। इन सभी पर ₹1.72 करोड़ का इनाम घोषित था।

24 दिन का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन
बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने जानकारी दी कि यह कार्रवाई 21 अप्रैल से 11 मई तक चली, जिसमें सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच कुल 21 मुठभेड़ें हुईं। मारे गए माओवादियों में 16 महिलाएं और 15 पुरुष शामिल हैं। सभी के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिनके पास से अत्याधुनिक हथियार भी जब्त किए गए हैं। इनमें SLR, INSAS और अन्य ऑटोमेटिक हथियार शामिल हैं।

214 नक्सली बंकर तबाह, 450 IED और विस्फोटक बरामद
इस व्यापक अभियान में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के 214 ठिकानों और बंकरों को ध्वस्त किया। मुठभेड़ स्थलों से 450 आईईडी बरामद किए गए, हालांकि इनमें से केवल 15 ही ब्लास्ट हुए। इसके अलावा, सुरक्षा बलों को चार ऐसे स्थान मिले जहां विस्फोटक और हथियार निर्माण की फैक्ट्रियां चल रही थीं। ऑपरेशन के दौरान 12,000 किलोग्राम खाद्य सामग्री भी बरामद की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि माओवादी लंबे समय तक इस क्षेत्र को अपने ठिकाने के रूप में उपयोग कर रहे थे।

ऑपरेशन में 10 हजार जवान शामिल, 18 घायल
ऑपरेशन में जिला रिजर्व गार्ड (DRG), कोबरा यूनिट, विशेष कार्य बल (STF), बस्तर फाइटर्स और CRPF की विभिन्न इकाइयों के लगभग 10,000 जवान शामिल थे। तेलंगाना पुलिस ने भी सहयोगी भूमिका निभाई। यह अभियान बेहद विषम परिस्थितियों में अंजाम दिया गया, जहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया था और इलाका घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ था। बावजूद इसके, जवानों का मनोबल डिगा नहीं और उन्होंने एक अनुकरणीय साहस का परिचय दिया।

इस दौरान आईईडी विस्फोटों और झड़पों में कुल 18 जवान घायल हुए हैं, जिनमें DRG और कोबरा यूनिट के जवान शामिल हैं। सभी को एयर एम्बुलेंस की मदद से समय पर अस्पताल पहुंचाया गया और अब सभी खतरे से बाहर हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई जवानों को डिहाइड्रेशन की समस्या भी हुई, लेकिन उनकी स्थिति स्थिर है।

नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई
सुरक्षा एजेंसियों ने इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे प्रभावी कार्रवाई बताया है। अब तक 2025 में कुल 197 नक्सली मारे जा चुके हैं और 718 ने आत्मसमर्पण किया है। अधिकारियों का मानना है कि कर्रेगुट्टा जैसे अभियानों के ज़रिए नक्सलवाद की कमर तोड़ी जा सकती है।

जांच तेज, NIA और SIA की भी मदद
एसपी यादव ने बताया कि माओवादियों के खिलाफ 17 मामले दर्ज किए गए हैं और जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। इसके अलावा, एनआईए (NIA) और एसआईए (SIA) जैसी केंद्रीय एजेंसियों की मदद भी ली जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए इस तरह के सघन अभियान आगे भी जारी रहेंगे, ताकि बस्तर जैसे क्षेत्रों में स्थायी शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त हो सके।

गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान: “2026 तक भारत नक्सल मुक्त होगा”
कर्रेगुट्टा ऑपरेशन की सफलता पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए इसे “#NaxalFreeBharat के संकल्प में ऐतिहासिक सफलता” बताया। शाह ने लिखा कि छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कुर्रगुट्टालू पहाड़ी, जो एक समय पर PLGA बटालियन 1, DKSZC, TSC और CRC जैसे संगठनों का यूनिफाइड हेडक्वार्टर था, आज तिरंगे की शान से गर्वित है। इस क्षेत्र में न केवल नक्सली ट्रेनिंग होती थी, बल्कि यहीं रणनीतियाँ बनाई जाती थीं और हथियार निर्माण भी होता था।

गृह मंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि इस कठिन ऑपरेशन में एक भी जवान की जान नहीं गई, जो सुरक्षा बलों की रणनीति और शौर्य का परिचायक है। उन्होंने CRPF, STF और DRG के जवानों को बधाई देते हुए कहा कि पूरा देश उनके पराक्रम पर गर्व करता है।

शाह ने यह भी घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 31 मार्च 2026 तक भारत को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है, और कर्रेगुट्टा ऑपरेशन उसकी दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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Kailash Jaiswal

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