शिक्षा मंत्री से अब सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे को लेकर सस्पेंस कांग्रेस ने कसा तंज….

शिक्षा मंत्री से अब सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे को लेकर सस्पेंस कांग्रेस ने कसा तंज….
छत्तीसगढ़ में मंत्री से अब सांसद बन चुके बृजमोहन अग्रवाल का बयान राजनीतिक गलियारों में उथल-पुथल मचा रहा है। शिक्षा मंत्री से अब सांसद बने बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। उनके बयान ने यह साफ कर दिया है फिलहाल वह इस्तीफा अभी नहीं देने वाले। बता दे कि बृजमोहन अग्रवाल दक्षिण से विधायक और विष्णु देव साय कि सरकार में शिक्षा और संस्कृतिक और पर्यटन मंत्री है।
उनके इस बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व मंत्री कवासी लखमा ने बृजमोहन अग्रवाल पर निशाना साधा है। देखी क्या है पूरा मामला…
भाजपा से रायपुर के नवनिर्वाचित सांसद बृजमोहन अग्रवाल अपने बयान से सभी को चौका दिया है उन्होंने अपने बयान में कहा मंत्री तो मैं 6 महीनों तक रह सकता हूं । मुख्यमंत्री जब कहेंगे तब मंत्री पद से इस्तीफा दूंगा इस्तीफा कौन से पद से देना यह तो पार्टी निर्देश के बाद समझ में आएगा।
वही इस बयान पर बृजमोहन अग्रवाल पर निशाना साधते हुए कवासी लखमा ने कहा भाजपा में अंदरूनी मामला शुरू हो गया है। बृजमोहन अग्रवाल भाजपा में ना घर का रखा और ना ही घाट का। बृजमोहन अग्रवाल खुद को छत्तीसगढ़ का डॉन समझते थे। लेकिन अब डॉन बिल्ली बन गए हैं। विष्णुदेव सरकार उनको कहीं का नहीं छोड़ने वाली है।
वह ना विधायक बन पाएंगे और ना ही सांसद।
संविधान के अनुच्छेद 101 के खंड 2 में स्पष्ट उल्लेख है कि भारत के दो सदनों के लिए चुने जाने पर एक सदन से इस्तीफा देना होगा। “समसामयिक सदस्यता प्रतिषेध नियम 1950” के अनुसार चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इस बारे में फैसला लेने के लिए 14 दिन का टाईम दिया गया है
भारत निर्वाचन आयोग ने 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद अगले दिन 5 जून नवनिर्वाचित सांसदों को नोटिफिकेशन जारी किया है। याने 5 जून से काउंट किया जाएगा। इस डेट से 14 दिन 18 जून को शाम पांच बजे पूरा होगा। नियम यह कहता है कि 14 दिन के भीतर अगर किसी एक सदन से इस्तीफा नहीं हुआ तो नई सदस्यता अपने आप समाप्त हो जाएगी।
बृजमोहन अग्रवाल इस समय विधानसभा के सदस्य हैं… बकायदा शपथ भी लिया है। वे लोकसभा के लिए चुने गए हैं मगर वहां अभी शपथ नहीं हुआ है। विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने के केस में नियम स्पष्ट है कि जनप्रतिनिधि नए सदन में जाने के इच्छुक नहीं है। लिहाजा, नई सदस्यता अपने आप समाप्त हो जाती है। याने वे विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे।
बता दे कि बृजमोहन अग्रवाल सांसद के साथ साथ रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी हैं और विष्णुदेव साय की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। बृजमोहन अग्रवाल को मंत्री रहते ही सांसद का टिकट दिया गया था,बृजमोहन अग्रवाल रायपुर लोकसभा सीट से जीते ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा वोटों से जितने वाले सांसद भी बने।
लिहाजा ये कयास लगाए जा रहे थे की उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है लेकिन ऐसा हुआ नही।मोदी कैबिनेट में ओबीसी चेहरा तोखन साहू को केंद्रीय मंत्री मंडल में जगह मिली। दूसरी तरफ सबके मन में यही सवाल उठ रहा था की अब बृजमोहन अग्रवाल का राजनीतिक भविष्य क्या है।इसी बीच मीडिया से बात करते हुए किस पद से इस्तीफा देने के सवाल पर चौकाने वाला जवाब देते हुए सब को हैरान कर दिया है।