
भाटापारा | भाटापारा ग्राम सुहेला मेला स्थल के पास हुए हत्या कांड ने पूरे इलाके को दहला दिया है। 27 वर्षीय युवक गोपाल साहू की हत्या के मामले में पुलिस ने 02 अपचारी बालक सहित 07 आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। हालांकि, इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भीड़भाड़ वाले मेले में सुरक्षा की नाकामी
दरअसल, जिस समय हत्या की वारदात हुई, उस समय ग्राम सुहेला में दुर्गा पंडाल मेला चल रहा था और वहां हजारों की भीड़ मौजूद थी। बावजूद इसके, पुलिस की गश्त और सुरक्षा व्यवस्था नदारद दिखाई दी। आरोप है कि मेले में लगातार युवकों के ग्रुप द्वारा झगड़े, बहसबाजी और उपद्रव किए जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने पहले से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
पीछा करने पर जान गंवानी पड़ी|
पुलिस की विवेचना के अनुसार, मृतक गोपाल साहू मेले में ही मौजूद था और आरोपियों द्वारा एक युवक से मारपीट करने के बाद उसने आरोपियों का पीछा किया। इसी दौरान सुनसान जगह पर आरोपियों ने उसे पकड़कर चाकू से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। सवाल यह है कि मेले में सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस कर्मी आखिर उस समय कहां थे?
100 से अधिक लोगों से पूछताछ, पर क्या समय रहते रोका जा सकता था हादसा?
जांच में पुलिस ने 100 से अधिक गवाहों से पूछताछ, सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस पहले से सख्ती बरतती और मेले में उपद्रव करने वालों पर निगरानी रखती तो शायद गोपाल साहू की जान बचाई जा सकती थी।
पुलिस की देरी से पहुंचने पर नाराजगी
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सूचना मिलने के बावजूद पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचने में वक्त लगा। जब तक पुलिस पहुंची, आरोपियों ने युवक की हत्या कर दी थी। इससे यह भी साफ होता है कि भीड़-भाड़ वाले आयोजनों में पुलिस की गश्त और सतर्कता महज औपचारिकता बनकर रह गई है।
गिरफ्तारी से ज्यादा जिम्मेदारी पर चर्चा
पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता के निर्देशन में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। मगर अब सवाल उठ रहा है कि केवल गिरफ्तारी ही समाधान है या फिर मेले जैसे आयोजनों में भविष्य में पुलिस की जिम्मेदारी तय कर सख्त सुरक्षा प्रबंधन करना जरूरी है।