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ट्रंप की जमीनी हमले की धमकी, रूस ने मादुरो को दिया समर्थन; संकट गहराया

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वाशिंगटन : अमेरिका और वेनेजुएला के बीच लंबे समय से simmer हो रहा तनाव अब तेजी से अंतरराष्ट्रीय शक्ति संघर्ष का रूप लेता दिखाई दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वेनेजुएला पर संभावित जमीनी कार्रवाई की धमकी देने के बाद रूस ने खुलकर मैदान में उतरते हुए हालात को और विस्फोटक बना दिया है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अचानक वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो से फोन पर बातचीत कर उन्हें हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया। क्रेमलिन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, पुतिन ने मादुरो को आश्वासन दिया कि रूस वेनेजुएला की संप्रभुता और राजनीतिक स्थिरता को किसी भी बाहरी दबाव से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों ने हाल ही में हुई ‘रणनीतिक साझेदारी संधि’ को आगे बढ़ाने पर भी सहमति जताई।

तनाव तब और बढ़ गया जब 10 दिसंबर 2025 को अमेरिकी नौसेना ने अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में वेनेजुएला के कच्चे तेल से लदे टैंकर “स्किपर” को जब्त कर लिया। अमेरिका का दावा है कि यह जहाज प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल था और उस पर ईरान से तेल परिवहन का संदेह भी रहा है। दूसरी ओर, वेनेजुएला ने इसे “सीधी डकैती” करार देते हुए कहा कि अमेरिका क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है।

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि मादुरो सरकार लगातार ड्रग कार्टेल्स की सहायता कर रही है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह आरोप सिर्फ राजनीतिक दबाव बढ़ाने की रणनीति है। विश्लेषकों के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले देश वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन कराना अमेरिकी हितों के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

अमेरिकी ‘मिलिट्री प्रेशर कैंपेन’ के तहत हाल के महीनों में 20 से अधिक बोट्स पर हमले किए जा चुके हैं, जिनमें दर्जनों लोगों की मौत हुई है। इस कार्रवाई ने दक्षिण अमेरिका में असुरक्षा की भावना को और गहरा कर दिया है।

वेनेजुएला सरकार ने अमेरिकी दबाव को “उपनिवेशवाद की वापसी” बताते हुए चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने हमला किया तो क्षेत्र में “बड़ा और भयानक युद्ध” भड़क सकता है। मादुरो प्रशासन ने सेना की भर्ती बढ़ा दी है, कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रोक दी गई हैं और देश को संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार किया जा रहा है।

उधर, रूस का खुला समर्थन इस भू-राजनीतिक ड्रामे को नए आयाम दे रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हालात इसी तरह बिगड़ते रहे, तो कैरेबियन की यह तनातनी अमेरिका और रूस के बीच एक नए शीतयुद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकती है।

फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं, और पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में ट्रंप प्रशासन अपने सैन्य विकल्पों पर क्या फैसला लेता है।

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Kailash Jaiswal

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