पीएमओ परिसर का नया नाम ‘सेवा तीर्थ’, केंद्र सरकार ने बदला नाम

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए तैयार किए जा रहे नए परिसर का नाम बदलते हुए उसे ‘सेवा तीर्थ’ नाम देने का निर्णय लिया है। यह परिसर सेंट्रल विस्टा पुनर्निर्माण परियोजना का हिस्सा है और निर्माण लगभग पूर्ण अवस्था में है। पहले इसे ‘एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव’ के नाम से जाना जाता था।
सेवा के मूल सिद्धांत पर आधारित नया परिसर
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, नए परिसर का नाम ‘सेवा तीर्थ’ इस उद्देश्य से रखा गया है कि यह स्थान शासन को जनता की सेवा से सीधे जोड़ने वाले प्रतीक के रूप में उभरे। कहा जा रहा है कि देश की प्रशासनिक प्रणाली में हो रहे व्यापक बदलावों को यह परिसर एक नए युग की शुरुआत के रूप में दर्शाएगा।
तीन इमारतों का आधुनिक कैंपस
नए परिसर में कुल तीन अलग-अलग इमारतें होंगी, जिन्हें सेवा तीर्थ–1, सेवा तीर्थ–2 और सेवा तीर्थ–3 नाम दिया गया है।
- सेवा तीर्थ–1 : प्रधानमंत्री कार्यालय का मुख्य संचालन यहीं से होगा।
- सेवा तीर्थ–2 : कैबिनेट सचिवालय का नया मुख्यालय इसी भवन में बनेगा।
- सेवा तीर्थ–3 : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का कार्यालय इसी ब्लॉक में स्थानांतरित किया जाएगा।
विश्वसनीय सूत्रों ने बताया है कि कुछ मंत्रालयों और विभागों का स्थानांतरण इन इमारतों में शुरू भी हो चुका है। पिछले दिनों कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन ने सेवा तीर्थ–2 में CDS और सेना प्रमुखों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की थी।
अधिकारियों का मत है कि इस नए कॉम्प्लेक्स के संचालन प्रारंभ होने से निर्णय प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यशैली और अधिक सुव्यवस्थित तथा तीव्र हो जाएगी।
राजभवन का नाम भी बदलेगा—अब ‘लोक भवन’
केंद्र सरकार ने इसी क्रम में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आठ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में राज्यपाल आवासों का नाम बदलने की अधिसूचना जारी की है। अब इन्हें ‘राजभवन/राज निवास’ की जगह ‘लोक भवन/लोक निवास’ के रूप में जाना जाएगा।
सरकार का मानना है कि पुराने नाम औपनिवेशिक छवि देते हैं और नए नाम लोकतांत्रिक मूल्यों को अधिक स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।
पहले भी हुए हैं कई प्रमुख नाम परिवर्तन
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र ने कई प्रमुख स्थानों और सड़कों के नाम बदले हैं—
- राजपथ → कर्तव्य पथ
- राष्ट्रपति भवन मार्ग → लोक कल्याण मार्ग (2016)
- केंद्रीय सचिवालय → कर्तव्य भवन
सरकार का कहना है कि इन बदलावों का उद्देश्य देश की सांस्कृतिक विरासत और प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक भारतीय, जन-केंद्रित और आधुनिक स्वरूप देना है।



