आसियान रक्षा बैठक में भारत की भूमिका होगी अहम, राजनाथ सिंह होंगे शामिल
नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक नवंबर को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित होने वाली 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (ADMM-Plus) में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बैठक में वे “पिछले 15 वर्षों की उपलब्धियां और भविष्य की दिशा” विषय पर अपने विचार साझा करेंगे।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत और आसियान देशों के बीच रक्षा सहयोग को गहराई देने और क्षेत्रीय सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनाथ सिंह अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान आसियान-प्लस देशों के रक्षा मंत्रियों और मलेशिया के वरिष्ठ नेतृत्व से भी मुलाकात करेंगे।
मंत्रालय ने बताया कि भारत 1992 से आसियान का वार्ता साझेदार है। पहली ADMM-Plus बैठक 12 अक्टूबर 2010 को वियतनाम की राजधानी हनोई में हुई थी। वर्ष 2017 से यह बैठक प्रतिवर्ष आयोजित की जा रही है, जिससे सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग, आपसी विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिला है।
वर्तमान चक्र (2024–2027) में भारत और मलेशिया संयुक्त रूप से “आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञ कार्य समूह” (Counter-Terrorism Expert Working Group) की सह-अध्यक्षता कर रहे हैं। यह समूह सदस्य देशों के बीच आतंकवाद निरोधक रणनीतियों और सहयोग को मजबूत बनाने की दिशा में काम करेगा।
इसके अलावा, आसियान-भारत समुद्री अभ्यास (ASEAN-India Maritime Exercise) का दूसरा संस्करण वर्ष 2026 में आयोजित किया जाएगा, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” और समुद्री सुरक्षा प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम कदम होगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 31 अक्टूबर को आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की दूसरी अनौपचारिक बैठक में भी शामिल होंगे। यह बैठक मलेशिया की अध्यक्षता में होगी और इसमें आसियान के सभी सदस्य देशों के रक्षा मंत्री भाग लेंगे।
आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM) दक्षिण-पूर्व एशिया में रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर विचार-विमर्श का सर्वोच्च मंच है, जबकि ADMM-Plus इसका विस्तारित रूप है। इसमें आसियान के 11 सदस्य देशों — ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और तिमोर-लेस्ते — के अलावा भारत, अमेरिका, चीन, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे 8 संवाद साझेदार देश शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में भारत की भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम रणनीतिक कदम साबित होगी।



