29 अक्टूबर को तय होगी डायल-112 की नई दिशा, 400 नई वाहनों की तैनाती जल्द

रायपुर | छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी सर्विस डायल-112 के संचालन को लेकर एक बार फिर बड़ा बदलाव सामने आया है। पुलिस मुख्यालय ने सेवा संचालन के लिए नया टेंडर जारी किया है, लेकिन इस बार की शर्तों में किए गए संशोधनों ने विवाद खड़ा कर दिया है।
अब तक केवल लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को ही भागीदारी की अनुमति थी, लेकिन इस बार सोसायटी को भी शामिल करने का प्रावधान जोड़ा गया है। हालांकि, किस प्रकार की सोसायटी पात्र मानी जाएगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। इसी अस्पष्टता को लेकर टेंडर प्रक्रिया पर पक्षपात और मनमानी के आरोप लगने लगे हैं।
सूत्रों का दावा है कि कुछ खास कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में यह बदलाव किया गया है। नए प्रावधानों के तहत अब ट्रक, बस या मालवाहक वाहन चलाने वाली कंपनियां भी इस प्रक्रिया में भाग ले सकेंगी, जिससे कई नई कंपनियों की दावेदारी सामने आई है।
400 नई गाड़ियां खड़ी, इस्तेमाल नहीं
इमरजेंसी सेवा को रफ्तार देने के लिए दो महीने पहले 400 नई डायल-112 गाड़ियां खरीदी गई थीं, जिनकी कीमत लगभग 15 लाख रुपये प्रति वाहन बताई जा रही है। ये सभी अमलेश्वर बटालियन में खड़ी हैं, लेकिन अभी उपयोग में नहीं लाई जा सकीं हैं।
कारण यह है कि वर्तमान ऑपरेटर एबीपी कंपनी का अनुबंध जनवरी तक बढ़ा दिया गया है, और नई कंपनी को फरवरी 2026 से संचालन सौंपे जाने की संभावना है।
किन कंपनियों ने जताई दावेदारी
नए टेंडर में जीवीके, सम्मान फाउंडेशन, कैम्प, बीवॉयजी, विजन प्लस, जय अंबे और एबीपी कंपनी ने भाग लिया है। सूत्रों के अनुसार, जीवीके और जय अंबे कंपनी सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं, क्योंकि दोनों पहले 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन कर चुकी हैं। वहीं, कैम्प कंपनी वर्तमान में नि:शुल्क शव वाहन सेवा चला रही है।
टेंडर की नई शर्तें
- सोसायटी को भी भागीदारी की अनुमति, पात्रता मानक स्पष्ट नहीं
- पिछले 3 वर्षों का लगातार अनुभव अनिवार्य
- डायल-112 या इमरजेंसी सेवा का सीधा उल्लेख नहीं
- फील्ड सर्विस में 75 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर आवश्यक
- आईटी, ट्रांसपोर्ट और सपोर्ट कार्यों का विभाजन विभिन्न कंपनियों में किया जाएगा
मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी अब “सोसायटी आधारित मॉडल” लागू करने की चर्चा है, जिसमें वही कंपनी गाड़ियों की खरीदी और संचालन दोनों का जिम्मा संभालती है।
टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर तय की गई है। दो महीने के भीतर चयन प्रक्रिया पूरी कर किसी एक कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव डायल-112 सेवा में सुधार लाएगा या फिर नया विवाद खड़ा करेगा।



