भारत-अमेरिका व्यापार तनाव गहराया, निर्यात में 43% गिरावट का अंदेशा

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ का असर आज से लागू हो गया है। यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल और हथियारों की बढ़ती खरीद के विरोध में उठाया गया है। इसके साथ ही भारत अब ब्राजील जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन पर अमेरिका ने सबसे ऊंचा 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है।
टैरिफ को दो चरणों में लागू किया गया है। जुलाई में 25% टैरिफ की घोषणा के बाद अगस्त में एक और 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया, जिससे भारत का लगभग दो-तिहाई वस्तु व्यापार सीधे प्रभावित होगा। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, यह असर भारत के 12 प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर गहराई से दिखेगा।
भारत से अमेरिका को होने वाले करीब 48 अरब डॉलर के निर्यात पर यह शुल्क लागू हो गया है। खासकर तिरुपुर, नोएडा, सूरत, विशाखापत्तनम और जोधपुर जैसे प्रमुख उत्पादन केंद्रों पर असर दिखने लगा है। अनुमान है कि कुछ उत्पादों की निर्यात मात्रा में 70% तक गिरावट आ सकती है और इस वित्त वर्ष में अमेरिका को कुल निर्यात 43% तक घट सकता है।
हालांकि कुछ क्षेत्रों को राहत मिली है। फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैरिफ लागू नहीं होगा, जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 30% हिस्सा हैं। इसके बावजूद परिधान, आभूषण, फर्नीचर और इंजीनियरिंग उत्पादों पर सबसे अधिक दबाव बनेगा।
इस स्थिति का लाभ वियतनाम, बांग्लादेश, चीन, तुर्की, इंडोनेशिया और मैक्सिको जैसे देशों को मिल सकता है, जहां अमेरिकी टैरिफ भारत की तुलना में कम है।
सरकार ने चुनौती से निपटने के लिए 25,000 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत की है। इसमें व्यापार वित्त, ऋण सुविधा, जीएसटी सुधार, विशेष आर्थिक क्षेत्र में बदलाव और वैश्विक बाजारों में ‘ब्रांड इंडिया’ को मजबूत करने जैसे कदम शामिल हैं।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया कि भारत अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ नहीं लगाएगा, लेकिन निर्यातकों और नौकरियों की सुरक्षा के लिए हर नीति, वित्तीय और कूटनीतिक उपाय अपनाएगा। साथ ही भारत यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर तेजी से काम कर रहा है, ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम की जा सके।