छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा: नक्सल सुरक्षा खर्च, महतारी सदन पर विपक्ष का हमला; पुलिस भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल में मंगलवार को नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा व्यय, पुलिस भर्ती में गड़बड़ी और महतारी सदन निर्माण को लेकर तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कई सवाल खड़े किए, जिनका जवाब देते हुए सरकार ने अपने पक्ष को स्पष्ट किया।
नक्सल प्रभावित जिलों में खर्च को लेकर विवाद
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने 2019 से 2023 तक सुरक्षा व्यय योजना के तहत राशि आवंटन और खर्च को लेकर सवाल उठाया। डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि नक्सल प्रभावित 15 जिलों के लिए 557 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि 998 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि राज्य पहले अपने बजट से खर्च करता है और बाद में केंद्र सरकार से रिम्बर्समेंट प्राप्त करता है।
चंद्राकर ने सरकार की कार्ययोजना और खर्च में अंतर को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि 13 बिंदुओं में कार्ययोजना भेजी गई, लेकिन खर्च 25 बिंदुओं पर हुआ। इस पर गृह मंत्री ने कहा कि सभी खर्च तय मानकों के तहत हुए हैं और केंद्र सरकार से राशि प्राप्त होती है।
इंश्योरेंस पर उठा सवाल:
चंद्राकर ने सुरक्षा बलों के इंश्योरेंस को लेकर भी सवाल उठाया कि जब इंश्योरेंस हुआ ही नहीं, तो केंद्र से राशि क्यों मांगी गई? इस पर मंत्री शर्मा ने कहा कि रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के तहत केंद्र से पूरी राशि नहीं मिलती, शेष राज्य सरकार वहन करती है।
पुलिस भर्ती में गड़बड़ी पर बहस
भाजपा विधायक द्वारिकाधीश यादव ने पुलिस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का मामला उठाते हुए सरकार से 1 जनवरी 2024 से 15 फरवरी 2025 तक की शिकायतों की जानकारी मांगी।
गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि राजनांदगांव जिले में एक पुलिस उप-अधीक्षक की शिकायत पर कार्रवाई हुई, जबकि बिलासपुर जिले में दो शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जिलों में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई है।
यादव ने सवाल किया कि जब घोटाला बड़े स्तर पर हुआ, तो केवल आरक्षकों पर कार्रवाई क्यों की गई, बड़े अधिकारियों पर क्यों नहीं? इस पर गृह मंत्री ने जवाब दिया कि राजनांदगांव के मामले में एडिशनल एसपी की टीम जांच कर रही है, और बिलासपुर मामले में 95,000 वीडियो की जांच हो चुकी है, जो अब न्यायालय में विचाराधीन है। यादव ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की, जिस पर सदन में तीखी बहस हुई।
खराब सड़कों को लेकर सवाल
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक विक्रम उसेंडी ने पखांजूर से मायापुर तक खराब सड़क का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सड़क में इतने गड्ढे हैं कि 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से भी वाहन नहीं चल सकते।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि सड़क के लिए बजट प्रावधान है, लेकिन जून तक इसके पूरी तरह बन जाने की गारंटी नहीं दी जा सकती। फिलहाल मरम्मत कार्य करवाया जाएगा।
महतारी सदन निर्माण पर हंगामा
विधानसभा में महतारी सदन निर्माण का मामला भी गरमाया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार से पूछा कि 2024-25 में कितनी ग्राम पंचायतों में महतारी सदन की स्वीकृति दी गई और एक सदन की लागत कितनी है?
पंचायत मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि 194 पंचायतों में स्वीकृति दी गई, 168 के लिए राशि जारी हो चुकी है और 147 का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। एक महतारी सदन की लागत 29.20 लाख रुपये है।
महंत ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि 194 में से केवल 5 कांग्रेस और 4 गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के विधायकों के क्षेत्र में बनाए जा रहे हैं, जबकि शेष 185 भाजपा विधायकों के क्षेत्र में दिए गए हैं।
इस पर सदन में भारी हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की, जबकि सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को निराधार बताया।