प्रमोटर्स की बड़ी निकासी और वॉरेन बफे का रेकॉर्ड कैश: क्या बाजार में आने वाली है बड़ी हलचल?

प्रमोटर्स की बड़ी निकासी और वॉरेन बफे का रेकॉर्ड कैश: क्या बाजार में आने वाली है बड़ी हलचल?
Share this

BBN24/20 अगस्त 2024 :  वर्तमान बाजार परिदृश्य में प्रमोटर्स द्वारा की जा रही भारी बिकवाली और वॉरेन बफे जैसे दिग्गज निवेशकों का रिकॉर्ड कैश होल्डिंग, निवेशकों के बीच महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर रहे हैं।

इस साल प्रमोटर्स ने भारतीय बाजार में करीब एक लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। यह आंकड़ा प्राइम डेटाबेस के डेटा एनालिसिस से सामने आया है। 250 से अधिक कंपनियों के प्रमोटरों ने बल्क और ब्लॉक डील्स के जरिए लगभग 97,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची है, जिसमें से 7,300 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल (OFS) रूट के माध्यम से बेची गई है। इसके अलावा, वेदांता ने हिंदुस्तान जिंक में 3,100 करोड़ रुपये के सौदे में 1.51% इक्विटी बेची है।

दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे भी इस समय बाजार में बड़ी हलचल का इंतजार कर रहे हैं। उनकी कंपनी के पास दूसरे तिमाही में कैश, कैश इक्विवेलेंट्स और शॉर्ट टर्म ट्रेजरी 88 अरब डॉलर से बढ़कर 277 अरब डॉलर के ऑल-टाइम लेवल पर पहुंच गए हैं। यह इंगित करता है कि बफे बड़े निवेश अवसरों का इंतजार कर रहे हैं, जबकि बाजार में अस्थिरता के संकेत हैं।

ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने इंडस टावर्स में 15,300 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची है, जो इस साल भारतीय बाजार में किसी प्रमोटर द्वारा की गई सबसे बड़ी बिक्री है। इसके साथ ही, इंडिगो के को-फाउंडर राकेश गंगवाल, टाटा संस, एम्फेसिस, वेदांता, भारती एयरटेल, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, संवर्धन मदरसन, हिंदुस्तान जिंक, सिप्ला, एनएचपीसी और टिमकेन इंडिया में भी बड़े पैमाने पर हिस्सेदारी बिक्री हुई है।

इस तरह की व्यापक बिकवाली और निवेशकों द्वारा कैश होल्डिंग्स बढ़ाना इस बात का संकेत हो सकता है कि बाजार में आगे अस्थिरता या बड़े बदलाव की संभावनाएं हैं। कई निवेशक इस स्थिति को बाजार में संभावित सुधार या गिरावट का संकेत मान सकते हैं, जबकि अन्य इसे एक निवेश अवसर के रूप में देख सकते हैं।

जिन कंपनियों में बड़े प्रमोटर्स ने हिस्सेदारी बेची है, उनमें से कई ने इसे कैश जुटाने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया है। हालांकि, निवेशकों के लिए यह समय सावधानी बरतने और बाजार के रुझानों पर नजर रखने का है, क्योंकि बाजार में संभावित सुधार या अस्थिरता के संकेत बढ़ रहे हैं।