खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में 11 जनवरी 2021 तक 66 लाख 75 हजार मीट्रिक धान की खरीदी की गई है। अब तक राज्य के 16 लाख 47 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा। राज्य के मिलरों को 21 लाख 87 हजार 736 मीट्रिक टन धान का डी.ओ. जारी किया गया है। जिसके विरूद्ध मिलरों द्वारा अब तक 18 लाख 74 हजार मीट्रिक टन धान का उठाव कर लिया गया है।
खरीफ वर्ष 2020-21 में 11 जनवरी 2021 तक राज्य के बस्तर जिले में 87 हजार 478 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इसी प्रकार बीजापुर जिले में 42 हजार 898 मीट्रिक टन, दंतेवाड़ा जिले में 9 हजार 450 मीट्रिक टन, कांकेर जिले में 2 लाख 6 हजार 814 मीट्रिक टन, कोण्डागांव जिले में 97 हजार 854 मीट्रिक टन, नारायणपुर जिले में 13 हजार 17 मीट्रिक टन, सुकमा जिले में 25 हजार 386 मीट्रिक टन, बिलासपुर जिले में 3 लाख 52 हजार 571 मीट्रिक टन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 51 हजार 322 मीट्रिक टन, जांजगीर-चांपा जिले में 6 लाख 48 हजार 326 मीट्रिक टन, कोरबा जिले में 84 हजार 556 मीट्रिक टन, मुंगेली जिले में 2 लाख 77 हजार 300 मीट्रिक टन खरीदी की गई है।
इसी तरह रायगढ़ जिले में 4 लाख एक हजार 380 मीट्रिक टन, बालोद जिले में 4 लाख 5 हजार मीट्रिक टन, बेमेतरा जिले में 4 लाख 66 हजार 104 मीट्रिक टन, दुर्ग जिले में 3 लाख 8 हजार 378 मीट्रिक टन, कवर्धा जिले में 3 लाख 25 हजार 231 मीट्रिक टन, राजनांदगांव जिले में 5 लाख 54 हजार 540 मीट्रिक टन, बलौदाबाजार जिले में 4 लाख 48 हजार 761 मीट्रिक टन, धमतरी जिले में 3 लाख 23 हजार 862 मीट्रिक टन, गरियाबंद जिले में 2 लाख 36 हजार 341 मीट्रिक टन, महासमुंद जिले में 4 लाख 53 हजार 665 मीट्रिक टन, रायपुर जिले में 3 लाख 77 हजार 719 मीट्रिक टन, बलरामपुर जिले में एक लाख एक हजार 165 मीट्रिक टन, जशपुर जिले में 73 हजार 874 मीट्रिक टन, कोरिया जिले में 78 हजार 852 मीट्रिक टन, सरगुजा जिले में एक लाख 3 हजार 593 मीट्रिक टन और सूरजपुर जिले में एक लाख 19 हजार 671 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है।
सरकारी खर्च पर करेंगे एमबीबीएस की पढ़ाई: जेएनयू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एण्ड रिसर्च सेंटर जयपुर में दिलाया गया प्रवेश
मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन दंतेवाड़ा ने निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए
जमा कराई एक करोड़ 36 लाख 74 हजार रूपए की फीस
रायपुर, 09 जनवरी 2021 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशील पहल से प्रदेश के सुदूर अंचल दंतेवाड़ा के तीन प्रतिभावान विद्यार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना अब साकार हो सकेगा। पी.ई.टी. तथा पी.एम.टी की कोचिंग हेतु संचालित बालक आवासीय विद्यालय बालूद एवं कन्या आवासीय विद्यालय कारली, दन्तेवाड़ा के इन तीनों छात्र-छात्राओं को जयपुर केे निजी मेडिकल कॉलेज जेएनयू इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एण्ड रिचर्स सेंटर में सरकारी खर्चे पर प्रवेश दिलाया गया है। इन तीनों छात्र-छात्राओं के प्रवेश के लिए एक करोड़ 36 लाख 74 हजार रूपए फीस जिला प्रशासन दंतेवाड़ा द्वारा जमा करा दी गई है। छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में यह पहली बार है कि कोई सरकार सुदूर अंचलों के छात्र-छात्राओं को निजी कॉलेज में सरकारी खर्चे पर डठठै की पढ़ाई पूरी कराने जा रही है।
ज्ञातव्य है कि जिला प्रशासन द्वारा पी.ई.टी. तथा पी.एम.टी की कोचिंग हेतु संचालित बालक आवासीय विद्यालय बालूद एवं कन्या आवासीय विद्यालय कारली, दन्तेवाड़ा से छम्म्ज् 2020 क्वालिफाई कर चुके इन छात्र-छात्राओं का तकनीकी त्रुटि के कारण एमबीबीएस कोर्स हेतु स्टेट काउंसिलिंग में रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाने के कारण ये छात्र-छात्राएं मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने से वंचित रह गये थे। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के संज्ञान में जैसे ही यह जानकारी आई, तो उन्होंने संवेदनशील पहल करते हुए छात्र-छात्राओं को निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी खर्चे पर प्रवेश दिलाने के निर्देश जिला प्रशासन दंतेवाड़ा को दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही करते हुए तीन विद्यार्थियों सुधीर कुमार रजक, जयंत कुमार और कुमारी ऐश्वर्या नाग को निजी कॉलेजों में प्रवेश दिलाने की कार्यवाही सुनिश्चित की गयी। इन तीनों छात्र-छात्राओं के निजी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कोर्स की फीस 3 करोड़ 32 लाख 25 हजार रूपए में से कुल 1 करोड़ 36 लाख 74 हजार रूपए की राशि जमा करा दी गई है।
महिलाओ की भावनाओ से खिलवाड़ करना गंभीर अपराध
प्यार के जाल में फँसकर विधवा महिला डूबी एक करोड़ के कर्ज में
रायपुर, 07 जनवरी 2021आज प्रस्तुत एक प्रकरण में अनावेदक की अनुपस्थिति पर गंभीर नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक के मार्फत उसे आयोग के समक्ष उपस्थित करने के निर्देश दिए।महिलाओ को कमजोर न समझे,उनसे किसी भी तरह की धोखाधड़ी करना अपराध है।आवेदक महिला ने आरोप लगाया कि उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करके पूरी सम्पति संबंधित ने हड़प कर ली हैं।इसके चलते महिला के ऊपर लगभग एक करोड़ का कर्ज हो चुका हैं।आयोग के अध्यक्ष ने महिलाओ को इस बात के लिए सतर्क किया है कि प्यार के झूठे जाल में फंसकर अपनी आर्थिक स्वतंत्रतता को न खोये। इसी तरह युवा अपनी संयम को बनाये रखे। समय की नजाकत को ध्यान में रखते हुए सावधानी से कार्य करें।
एक अन्य प्रकरण में भरण-पोषण के लिए पति ने पत्नि को प्रतिमाह पचास हज़ार रुपए देने सहमत हुए। कुछ माह पश्चात बच्चो के नाम 40-50 लाख की कीमत वाली फ्लैट पति द्वारा खरीदी करने पर भी सहमत हुए। आयोग ने दम्पति को आगामी मई माह में सुनवाई के लिए समय दिया है। आयोग की समझाइश पर पिता अपने बच्चों से दूरभाष पर बात करने के साथ-साथ सुविधानुसार मिल भी सकेंगे।
आज के एक अन्य प्रकरण में आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत करने पर न्याय करने में सुविधा होती है। प्रार्थी एवं अनावेदक प्रकरण के संदर्भ में सम्पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करें, ताकि न्याय में अनावश्यक देरी न हो। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में उन्होंने कहा कि पारिवारिक जीवन के सफल निर्वहन के लिए पति-पत्नी के बीच संबंधों में मधुरता हो। किसी प्रकार की अनबन होने पर पति का नैतिक दायित्व है कि पत्नि और बच्चों के सम्पूर्ण भरण पोषण के लिए ध्यान दे। इसी तरह वैधानिक तलाक के बिना दूसरी शादी करना अपराध है। आयोग के समक्ष झूठा बयान न करे,ऐसे झूठे बयान पर संजीदगी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के रहने के लिए मकान की व्यवस्था और बच्चों के स्कूल फीस की व्यवस्था की सहमति दी।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज विभिन्न जिलों की महिलाओ द्वारा दिए गए आवेदनों की आयोग कक्ष में जन सुनवाई की। आज प्रस्तुत प्रकरण में शारीरिक शोषण,मानसिक प्रताड़ना,दहेज प्रताड़ना, सम्पत्ति विवाद आदि से संबंधित थे। सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग व फिजीकल डिस्टेंसिंग एवं सैनिटाईजर का प्रयोग करते हुए कार्यवाही प्रारंभ की गई।
झांकी चयन प्रक्रिया में मध्यप्रदेश सहित कई बड़े राज्यों की झांकी को छोड़ा पीछे
28 राज्यों और 8 संघशासित प्रदेशों की कड़ी प्रतियोगिता में हुआ छत्तीसगढ़ का चयन
रायपुर, : 1 जनवरी 2021गणतन्त्र दिवस पर इस बार नई दिल्ली के राजपथ पर छत्तीसगढ़ के लोक संगीत का वाद्य वैभव दिखेगा। गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के लिए छत्तीससगढ़ राज्य की झांकी को रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने लगातार दूसरे साल भी मंजूरी दे दी है। वहीं, कई बड़े राज्यों की झांकी अपना स्थान बनाने से चूक गयी। झांकी के चयन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने भी बधाई दी है।
रक्षा विभाग की कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद इस बार की झांकी में छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्यों को उनके सांस्कृतिक परिवेश के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। देश के कई बड़े राज्यों को पीछे छोडते हुये छत्तीसगढ़ की झांकी ने अपना स्थान सुनिश्चित किया है।
उल्लेखनीय है कि झांकी में छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित बस्तर से लेकर उत्तर में स्थित सरगुजा तक विभिन्न अवसरों पर प्रयुक्त होने वाले लोक वाद्य शामिल किए गए हैं। इनके माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्थानीय तीज त्योहारों तथा रीति रिवाजों में निहित सांस्कृतिक मूल्यों को भी रेखांकित किया गया है। इस विषयवस्तु पर आधारित झांकी को पांच राउंड की कठिन प्रक्रिया के बाद अंतिम स्वीकृति मिली है। इस बार कई पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड , तेलंगाना , ओड़िशा सहित बिहार, राजस्थान जैसे कई बड़े राज्यों की झांकी का चयन नहीं हो पाया है।
देश के विभिन्न राज्यों के बीच कड़ी स्पर्धा और कई चरणों से गुजरने के बाद अंतिम रूप से छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन हुआ है। तीन महीने तक कलाकारों की वेषभूषा और संगीत पर शोध कर त्रि आयामी मॉडल तैयार किया गया, जिसे रक्षा मंत्रालय की विशेषज्ञ कमेटी ने सलेक्ट किया है।
पटनाः जनता दल यूनाइटेड ;श्रक्न्द्ध के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद रामचंद्र प्रसाद सिंह को सौंपा जाएगा। आरसीपी सिंह वर्तमान में राज्यसभा में संसदीय दल के नेता हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका सभी ने समर्थन किया। हाल ही में सीएम नीतीश कुमार ने भी सिंह को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने की बात की है। पटना में पार्टी कार्यालय में नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के दौरान, नीतीश ने कहा कि आरसीपी सिंह उनके बाद सब कुछ देखेंगे।
यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह उनके साथ पार्टी में उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे। हालांकि, आरसीपी सिंह को जेडीयू में नीतीश के बाद नंबर 2 भी माना जाता था क्योंकि जून में पार्टी की आभासी बैठक के दौरान, लोकसभा को संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की उपस्थिति में भाषण दिया गया था। पहले आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के समक्ष व्याख्यान देते थे और माना जाता है कि नीतीश कुमार के निर्देश पर ही प्रोटोकॉल का पालन किया गया था।
ज्ञात हो कि चुनाव के समय सीटों का बंटवारा हो या पार्टी में प्रत्याशियों का चयन, सीएम नीतीश कुमार आरसीपी सिंह पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। हालांकि पार्टी में पिछले साल कार्यकर्ताओं की रैली में भीड़ जुटाने में सिंह बहुत सफल नहीं रहे थे। आरसीपी सिंह पिछले 2 बार से राज्यसभा के सदस्य हैं। वह पहली बार 2010 में राज्यसभा गए थे और उसके बाद 2016 में फिर से उन्हें नीतीश कुमार ने भेजा था।
रायपुर, 21 दिसम्बर 2020 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में पिछले दो सालों में 103 एमओयू हुए हैं। इनके माध्यम से प्रदेश में 42 हजार 155 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे प्रदेश के युवाओं के लिए 62 हजार से अधिक रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
छत्तीसगढ़ की नयी उद्योग नीति और कोरोना-काल में उद्योगों के हित में शासन द्वारा उठाए गए कदमों से राज्य में बेहतर औद्योगिक वातावरण का निर्माण हुआ है। कोरोना-संकट काल में पूरा देश आर्थिक मंदी से प्रभावित था, वहीं छत्तीसगढ़ में उद्योग जगत मंदी से अछूता रहा। लॉकडाउन के दौरान देश में सबसे पहले माह अप्रैल में छत्तीसगढ़ के उद्योगों में काम प्रारंभ हुआ। उद्योगों की कठिनाइयों को देखते हुए ही कई तरह की रियायतें और सुविधाएं दी गईं। कोर सेक्टर के उद्योगों को विद्युत शुल्क में छूट दी गई। कच्चे माल की आवक बनी रहे, और तैयार माल बाजार तक पहुंचता रहे, इसके लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए। दूसरे राज्यों से कच्चा माल आसानी से छत्तीसगढ़ आ सके, इसके लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए गए। स्टील और सीमेंट उद्योग की गतिविधियां चलती रहें, इसके लिए सड़क और भवन निर्माण का काम जारी रखा गया। बिजली की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। नियम शर्तों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया। राइस मिलों को ऊर्जा प्रभार में पांच प्रतिशत की छूट दी गई। उद्योगों को बिजली बिलों के भुगतान की अवधि में भी छूट दी गई। लॉकडाउन की अवधि में छत्तीसगढ़ में 27 लाख टन इस्पात का उत्पादन हुआ, जो दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा था। प्रदेश में नयी औद्योगिक नीति का निर्माण किया गया है। यह नयी नीति यहां के उद्योग धंधों के लिए संभावनाओं के नये दरवाजे तो खोल रही है साथ ही एग्रीकल्चर सेक्टर को भी मजबूत प्रदान कर रही है।
राज्य सरकार की नयी उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी गई है। खनिज आधारित उद्योगों को हर तरह का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नई औद्योगिक नीति के तहत अब इस्पात (स्पंज आयरन एण्ड स्टील) क्षेत्र के मेगा अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश हेतु विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज की व्यवस्था की गई है। मेगा निवेशकों के लिए इस पैकेज में अधिकतम 500 करोड़ रुपए तक निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बस्तर संभाग के लिए 1000 करोड़ का निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है। निवेशकों को सिर्फ छूट और सुविधा ही नहीं दी जा रही, बल्कि इस बात का भी खयाल रखा गया है कि वे प्रदेश में आसानी के साथ उद्योग स्थापित कर सकें। इसके लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन के लिए भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। भू-भाटक में एक प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में 10 एकड़ तक आवंटित भूमि को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए नियम बनाए गए हैं। औद्योगिक भूमि और भवन प्रबंधन नियमों का सरलीकरण किया गया है।
असामान्य परिस्थितियों के बावजूद छत्तीसगढ़ में 464 स्टार्टअप शुरु करने में सफलता पाई है। 01 जनवरी 2019 से लेकर अब तक 103 एमओयू किए जा चुके हैं, जिनमें 42 हजार 154 करोड़ रुपए से अधिक का पूंजी निवेश होगा। स्टील सेक्टर में 80 एमओयू हुए हैं, जिसमें 37022.22 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। सीमेंट सेक्टर में एक एमओयू हुआ, जिसमें 2000 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। एथेनॉल सेक्टर में 7 एमओयू हुए, जिनमें 1082.82 करोड़ का पूंजी निवेश होगा। फूड सेक्टर में 5 एमओयू के माध्यम से 283.61 करोड़, फार्मास्युटिकल सेक्टर में 3 एमओयू के माध्यम से 56.41 करोड़ रुपए, डिफेंस सेक्टर में 3 एमओयू के माध्यम से 529.50 करोड़ रुपए तथा अन्य सेक्टरों में 4 एमओयू के माध्यम से 1179.99 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है। इससे स्टील सेक्टर में 52,206, सीमेंट सेक्टर में 450, एथेनॉल सेक्टर में 986, फूड सेक्टर में 2,434, फार्मास्युटिकल सेक्टर में 393, डिफेंस सेक्टर में 4494 तथा अन्य सेक्टरों में 1,105 रोजगार के अवसर निर्मित होंगे।
पटना- बिहार में होनेवाले विधानसभा चुनाव 2020 से पहले नितीश सरकार ने आज प्रदेश के शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने शिक्षकों के वेतन में वृद्धि करने का बड़ा फैसला किया है। इसके तहत पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। हालांकि इसका लाभ शिक्षकों को अप्रैल 2021 से मिलेगा।
अभी हाल ही में पंचायती राज और शहरी निकायों के शिक्षकों की नई सेवा शर्त नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिल गई थी। जिसके तहत लाखों शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का लाभ इसी साल सितंबर महीने से ही दिया जाएगा। साथ हीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि भी की गई है, जिसका लाभ एक अगले साल अप्रैल से मिलेगा।
सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्तमान शिक्षकों के जुलाई और अगस्त के वेतन के लिए 1560 करोड़ जारी होंगे। कैबिनेट ने राशि जारी करने की स्वीकृति दे दी है।
नई नियमावली के तहत प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के योग्य शिक्षकों का प्रोमोशन होगा। वहीं माध्यमिक विद्यालय और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 50 प्रतिशत पद प्रमोशन से ही भरे जाएंगे। योग्य शिक्षकों का प्रमोशन कर हेड मास्टर भी बनाया जायेगा।
सरकार के इस फैसले को लोग चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में नीतीश कुमार सरकार का ये फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।
ऐच्छिक स्तानांतरण का लाभ
महिला और दिव्यांग शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को अपने नियोजन इकाई तथा अपने जिले से बाहर एक बार ऐच्छिक स्थानांतरण का लाभ मिलेगा। वहीं पुरुष शिक्षकों तथा पुस्तकालयाध्यक्षों को इसका लाभ आपसी सहमति (पारस्परिक) से मिलेगा। आरके महाजन ने कहा कि कई महिला शिक्षक थी, जो शादी से पहले से नियुक्त थी, पर बाद में उन्हें दिक्कत होने लगी। इस फैसले से ऐसी महिला शिक्षकों को भी काफी लाभ होगा।
नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी के दौरान चुनाव कराने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। बिहार विधानसभा चुनाव को कोरोना संक्रमण के चलते टालने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि कोरोना के चलते बिहार विधानसभा चुनाव को टाला नहीं जा सकता।
कोरोना प्रसार को रोकने की दलील देते हुए बिहार विधानसभा चुनाव टालने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जनहित याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त के उस बयान का उल्लेख किया गया जिसमे विधानसभा चुनाव तय समय में कराये जाने की बात कही गयी थी। चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव तय समय पर कराये जाने की बात कही गयी थी।
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने भी बिहार में विधानसभा चुनाव तय समय पर कराये जाने बात कही थी। साथ ही कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए जाने वाले इंतजाम का गाइडलाइन भी जारी की थी। इसका जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग स्वतंत्र है। सर्वोच्च न्यायलय चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता।
गौरतलब है की पटना उच्च न्यायलय ने इस तरह की बिहार चुनाव टालने की मांग से जुड़ी हुई दो जनहित याचिकाओं पर संज्ञान नहीं लिया था।
नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी के दौरान चुनाव कराने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। बिहार विधानसभा चुनाव को कोरोना संक्रमण के चलते टालने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि कोरोना के चलते बिहार विधानसभा चुनाव को टाला नहीं जा सकता।
कोरोना प्रसार को रोकने की दलील देते हुए बिहार विधानसभा चुनाव टालने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जनहित याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त के उस बयान का उल्लेख किया गया जिसमे विधानसभा चुनाव तय समय में कराये जाने की बात कही गयी थी। चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव तय समय पर कराये जाने की बात कही गयी थी।
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने भी बिहार में विधानसभा चुनाव तय समय पर कराये जाने बात कही थी। साथ ही कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए जाने वाले इंतजाम का गाइडलाइन भी जारी की थी। इसका जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग स्वतंत्र है। सर्वोच्च न्यायलय चुनाव आयोग को निर्देश नहीं दे सकता।
गौरतलब है की पटना उच्च न्यायलय ने इस तरह की बिहार चुनाव टालने की मांग से जुड़ी हुई दो जनहित याचिकाओं पर संज्ञान नहीं लिया था।