जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा थाना अंतर्गत ग्राम तरौद के पास एनएच 49 पर सोमवार सुबह एक तेज रफ्तार ट्रैलर वाहन ने लॉयन डीएवी स्कूल अकलतरा की बस को जोरदार टक्कर मार दी साथ की एक मोटरसायकल को भी अपनी चपेट में ले लिया वही मोटरसायकल चालक ने गाड़ी से कूद कर अपनी जान बचाई वही स्कूल बस में सवार छात्र छात्राओं को गंभीर चोटे आई थी जन्हें ग्रमीणों की मदद से अकलतरा के हरि कृष्ण अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ से प्रथमिक उपचार के बाद गंभीर छात्र छात्राओं को बिलासपुर रेफर कर दिया गया था वही हादसे के बाद गुस्साए परिजनों व आसपास के ग्रामीणों ने एनएच 49 में ओवरब्रिज की मांग को लेकर लगभग 5 घंटे तक चक्काजाम किया छात्र के परिजन और ग्रामीणों का कहना था कि यहां पर ओवरब्रिज होना चाहिए परंतु SDM के द्वारा लोगो को समझाया गया कि तत्काल ओवरब्रिज बनना संभव नहीं है तब परिजनों और ग्रामणो ने कहा कि हमें यहां पर तत्काल स्टॉपर और ब्रेकर , चोराहे पर लाइट , यातायात पुलिस एवं सिग्नल की व्यवस्था कराई जाए , इस पर कार्रवाई करते हुए एसडीएम द्वारा तत्काल जांजगीर से स्टॉपर मंगवाया गया और चौक के चारों ऒर में स्टॉपर लगवाया गया माहौल शांत होने के आधे घंटे बाद ही स्टॉपर जिनको रोड के बीच में वाहन की गति धीमी करने के लिए लगाया गया था वह रोड किनारे नजर आए इससे शासन की तत्परता पर सवाल उठ रहे हैं बार-बार एनएच पर हो रही घटनाओं पर शासन के द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं जिनसे इन हादसों पर कोई कमी हो सके ।
■कटहल वेट लॉस में बेहद कारगर है।
■यह उच्च रक्त चाप को कंट्रोल करता है।
■प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है।
■ यह आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है।
■ कटहल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।
देखे विडियों...........
दरसल में महादेव को रुद्राभिषेक करता यह शख्स हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम है आर्य छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर का है जो कवर्धा विधानसभा सीट से विधायक है जो सावन के अंतिम दिन 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के पावन दिन पर कवर्धा के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने गर्भगृह में जाकर विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महादेव की पूजा की इन तस्वीरों को देखकर एक सुकून सा भी लगता है ।क्योंकि वर्तमान के दौर में हिंदू मुस्लिम को लेकर विवाद दंगे और तरह तरह की खबरें आते हैं लेकिन इस तस्वीर को देखकर आंखों को सुकून और चैन मिलता है ।BBN24 न्यूज़ परिवार मोहम्मद अकबर की इस पहल का जमकर तारीफ भी करता है।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में गाय की ममता का एक अद्भुत वीडियो इंटरनेट पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें एक गाय सूअर के बच्चे को अपना दूध पिलाती हुई दिखाई दे रही है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि वर्षा हो रही है और गाय एक जगह खड़ी हुई है, बगल में सूअर का बच्चा बड़े आनंद से उसके दूध का सेवन कर रहा है।
इसी बीच किसी ने इस मनोरम दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर लिया और धीरे-धीरे यह सोशल मीडिया में काफी वायरल होने लगा।
सुषमा दी,अलविदा
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क्या कहू तुम्हे तुम सबकी मां
नारीशक्ति की मिसाल हो,
बेटियां कहती तुम मेरी मां महिला कहती तुम दीदी हो
,बहना कहे तुम्हे सब नेता , विरोधियों को भी तुम भाती थीं ...
प्रतिद्विंधी कहें करू विरोध कैसे व्यक्तित्व तुम्हारा अनोखा है...
देश का अभिमान हो तुम...महिला का स्वभिमान हो...
मुखर तो हो पर मौन क्यों हुई..
कुछ कहो न तुम में सुनूंगी..
सदन की धमक न खो जाए जो आवाज यूएन तक गई थी
विदेश मंत्रालय हो या स्वास्य मंत्रालय हर कर्तव्य तुमने निभाया था...
कैसे मान लूं सुषमा मां...तुम मुखर थी पर मौन हो हुईं...
ओजस्वी हो तेज से सराबोर.
.बिमारी में भी सब पर भारी थी..
विश्वास नहीं स्वराज की तुम अब इस धरा में नहीं रहीं....
भारतीय राजनीती का वो चेहरा जो आज रूठ गया...
जो नाता उनका हम सब से था वो आज हमसे टूट गया..
दूसरी दुनिया में तो चली गई हो..इस दुनिया को भी कुछ और वक्त दिया होता...
कुछ नेता ही है शेष ऐसे जिनके लिए जनसैलाब उमड़ता है...
हर किसी का संस्मरण से बस अब यादों का फेरा है
अमर शहीद युगल किशोर वर्मा
जन्म : 13 जुन 1984
जन्म स्थान : कनकी, खरोरा
जिला : रायपुर (छ.ग.)
शहादत दिनांक : 06 अगस्त 2017
शहादत स्थान : खम्हारडीह, थाना गातापर
जिला : राजनांदगांव (छ.ग.)
शहीद युगल किशोर वर्मा का जन्म दिनांक 13 जुन 1984 को ग्राम कनकी, थाना खरोरा, जिला रायपुर की पावन धरा में हुआ था। धन्य है उस माँ की कोख जिसने शहीद युगल किशोर वर्मा को जन्म दिया। धन्य हैं वह पिता जिसने अपने लहू से सींचकर शहीद युगल किशोर वर्मा जैसे पुष्प को पल्लवित किया जिनकी वीरतापूर्ण शहादत से समूचा अंचल महक उठा है। शहीद युगल किशोर वर्मा का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था। परिवार के सभी सदस्य शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी हैं। पिताजी श्री शिव कुमार वर्मा लोक निर्माण विभाग से समयपाल के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। माताजी का नाम श्रीमती यशोदा वर्मा है जो एक कुशल गृहणी हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को विनम्रता और व्यवहारिकता का शिक्षा और संस्कार का पाठ भली भाँति पढ़ाया है। शहीद युगल किशोर वर्मा के बड़े भाई श्री गोविन्द कुमार वर्मा सूबेदार के पद पर पुलिस लाइन रायपुर में अपनी सेवाएं दे रहें हैं। जबकि उनकी बड़ी बहन श्रीमती फिंगेश्वरी वर्मा जी. आर. पी. पुलिस अधीक्षक कार्यालय रायपुर में सहायक उपनिरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। शहीद युगल किशोर वर्मा सबसे छोटे थे, घर में प्यार से गोलू कहकर पुकारा जाता था। उनका बचपना बहुत ही प्यार-दुलार में बीता है, उनके चेहरे की मासूमियत और उनकी चंचलता बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी। वे बड़े ही प्रतिभाशाली और मेधावी व बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं दृढ़ निश्चयी थे। शहीद युगल किशोर की प्राथमिक शिक्षा पांचवी तक की ग्राम पलारी जिला बलौदाबाजार में हुई। कक्षा छठवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय माना रायपुर से किया। आगे की महाविद्यालय की पढ़ाई शासकीय नागार्जुन विज्ञान महाविद्यालय रायपुर से किया, बी. एससी. करने के पश्चात डिफेन्स स्टडीज में एम. एससी. उत्तीर्ण कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे। शहीद युगल किशोर वर्मा सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं खेल-कूद में भी अपना सर्वोच्च प्रदर्शन करते थे उनका लंबा कद और छरहरा बदन खेलों में सहायक साबित हुआ। उनमें गज़ब की स्फूर्ति थी। महाविद्यालय में 2003 से 2006 तक चार वर्ष लगातार सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना जाना, किसी खिलाड़ी के लिये इससे गौरवपूर्ण पुरुस्कार और कुछ नहीं हो सकता। वर्ष 2003 खेल प्रतियोगिताएं तो पूरी तरह शहीद युगल किशोर वर्मा के नाम रहीं। वार्षिक क्रीड़ा उत्सव 2003 में 100, 200, 400 मीटर दौड़ में शहीद किशोर वर्मा प्रथम रहे थे। भाला फेंक, लम्बी कूद एवं ऊँची कूद में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उनके प्रथम पुरुस्कार प्राप्त करने की सूचि बहुत लम्बी है, यह तो सिर्फ 2003 के परिणाम है। उनके नाम खेलों में एक और उपलब्धि जुड़ा है उन्होंने दो बार हैंडबॉल प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है। शहीद युगल किशोर वर्मा रेल्वे द्वारा आयोजित परीक्षा में 287 चयनित छात्रों में प्रथम स्थान प्राप्त किया था, ततपश्चात सी.आई.एस.एफ. में उपनिरीक्षक के पद पर चयनित होकर सिकन्दराबाद प्रशिक्षण केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे। इसी बीच छत्तीसगढ़ पुलिस में वर्ष 2007-2008 में उपनिरीक्षक के पद पर उनका पदार्पण हुआ। छत्तीसगढ़ पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर चयनित होने के साथ ही जैसे युवा मन को पंख लग गए देशभक्ति, जनसेवा की भावनाएं प्रबल होने लगी। उन्होंने जिस लगन, निष्ठा, त्याग, समर्पण और कर्तव्यपरायणता से अपने दायित्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है, समस्त युवा पुलिस जवानों एवं पुलिस विभाग के लिये अनुकरणीय हैं। शहीद युगल किशोर वर्मा जैसे जांबाज विरले ही मिलते हैं जो अपने बाद वीरता की शौर्य और पराक्रम का इतिहास छोड़ जाते हैं जिसे जानकर स्वयमेव गर्व की अनुभूति होने लगती है। अपनी पदस्थापना दिनांक से ही धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहे, परिवीक्षा अवधि में दंतेवाड़ा जिला में रहे, उसके बाद प्रथम पदस्थापना जिला बलरामपुर में नक्सल क्षेत्र में रहते हुए उन्होंने अद्भुत साहस व स्फूर्ति का परिचय देते हुए कई उपलब्धिपूर्ण कार्य किए एवं मिली हुई समस्त चुनौतीयों का वीरतापूर्वक सामना करते रहे । मजबूत इरादों और साहसिक कार्यों के वजह से वरिष्ठ अधिकारियों के विश्वास भरोसेमंद बने रहे। जिला बीजापुर में एस.आई.बी. में उनकी पदस्थापना की उन्होंने प्राप्त अपनी इस जबाबदारी का उत्साह उमंग के साथ जिस प्रकार सफलतापूर्वक निर्वहन किया, वह किसी मिसाल से कम नहीं। वे बीजापुर से लगे ईसाई मिशनरी स्कूल में बतौर शिक्षक रहने लगे और विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे अपना रूप-रंग, हुलिया सब कुछ बदल रखा था, बच्चों एवं विद्यार्थियों से मिलने उनके ग्रामीण क्षेत्रों के निवास जाया करते थे। इसी बहाने आम ग्रामीणों में घुसपैठ बनाकर नक्सली मूवमेंट की जानकारी एकत्रित किया करते थे। कभी-कभी अपने एक सहयोगी को साथ लेकर साइकिल से गुटखा बेचने निकल जाते। रात होती तो कहीं भी रुक जाते, कई रातें तो इन्होंने नक्सलियों के बीच गुजारी थी इतना साहस और इतनी निडरता अद्भुत है जबकि वे जानते थे कि यदि उनका भेद खुल गया तो अंजाम क्या होगा। कभी-कभी तो स्लीपर पहनकर, फटे-पुराने कपड़े पहनकर अकेले निकल पड़ते थे, बाल बढ़ा लिए थे, सर पे गमछा लपेट निकल पड़ते थे। जब तक शहीद युगल किशोर वर्मा बीजापुर एस.आई.बी. में रहे नक्सली किसी भी बड़े वारदात को अंजाम नही दे पाए, इसलिए नक्सली वारदातों में बहुत कमी देखी गई। बीजापुर जिले का चप्पा-चप्पा उनकी निगाहों में समाया हुआ था। नक्सली सदस्यों से, नक्सलियों के संगठन के नामों से भली-भांति वाकिफ हो चुके थे। उन्होंने बीजापुर में बोली जाने वाली स्थानीय बोली भी सीख लिया था, पुलिस अधिकारी से पूरी तरह अपने आपको कलाकार बना डाला था।
अमर शहीद युगल किशोर वर्मा जिला बीजापुर से स्थानांतरण पर जिला राजनांदगांव आए, उन्होंने लगभग 10 माह तक डोंगरगांव में अपनी सेवायें दी। उनकी बहादुरी निडरता और कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए नक्सल उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान जिसका नाम ई.-30 दिया था, उनका उन्हें प्रभारी बनाया गया। अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने नक्सलियों से 57 बार सामना1 किया। कई मुठभेड़ में पुलिस जवानों के पराक्रम से, शहीद युगल किशोर वर्मा की गोलियों से नक्सली गम्भीर रूप से घायल हुए एवं कुछ नक्सलियों के मारे जाने की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता। चूंकि नक्सली मुठभेड़ पश्चात अपने गम्भीर रूप से घायल साथियों एवं मारे गए साथियों के शव को अपने साथ उठा ले जाते हैं। शहीद युगल किशोर वर्मा के नेतृत्व में पुलिस लगातार धुर नक्सली क्षेत्रों के जंगलों में पहाड़ों में लगातार सर्चिंग कर रही थी। पुलिस द्वारा अपनी जान की परवाह न करते हुए जिस तरह से लगातार सर्चिंग किया जा रहा था उससे नक्सली भयभीत होकर भागने के लिये मजबूर हो रहे थे। पुलिस और ग्रामीणों के बीच बेहतर सामन्जस्य स्थापित करते हुए शहीद युगल किशोर वर्मा ग्रामीणों के मन में पुलिस के प्रति आस्था और विश्वास कायम करने में आम ग्रामीणजनों का समर्थन एवं सहयोग प्राप्त करने में कामयाब हो रहे थे। इसी बीच मुखबिर से सूचना मिली की थाना गातापार क्षेत्रान्तर्गत मावे और खम्हारडीह जंगल में नक्सली एकत्रित होकर किसी भयानक घटना को अंजाम देने की तैयारी में लगे हैं। सूचना मिलते ही शहीद युगल किशोर वर्मा तत्काल मौके के लिये रवाना हुए। सूचना पुख्ता थी पुलिस द्वारा नक्सलियों के कैंप को ध्वस्त कर दिया गया। पुलिस और नक्सलियों के बीच जमकर मुठभेड़ हुआ। दोनों तरफ से गोलियों की बौछार हुई। शहीद किशोर वर्मा स्वयं सामने आकर अपने साथी जवानों को बचाते हुए डटकर नक्सलियों का सामना करते रहे, चीते की स्फूर्ति से जांबाज शहीद युगल किशोर वर्मा नक्सलियों पर कहर बनकर टूट पड़े थे, उनकी हर सांस पर कई गोलियां नक्सलियों पर बरसती थी। नक्सली पुलिस के शौर्य और पराक्रम के आगे भयभीत होकर भागने के लिए मजबूर हो रहे थे। तभी अचानक नक्सलियों की ओर से चली गोली शहीद युगल किशोर वर्मा को सीधे आकर गले के पास लगी। फिर भी जांबाज साहसी युवा शहीद युगल किशोर वर्मा दहाड़ कर नक्सलियों को ललकारते हुए अपनी अंतिम सांस तक वीरतापूर्वक नक्सलियों का डटकर सामना किया और वीरता शब्द को अलंकृत करते हुए धरती माँ की आँचल समा गए। शहीद युगल किशोर वर्मा जिस साहस, स्फूर्ति और शौर्य तथा पराक्रम से शहादत को प्राप्त हुए वह सदैव जीवन्त रहेगी। उनकी शहादत सदैव अजर-अमर रहेगी।अपने आप में ब्लड बैंक थे , शहीद युगल किशोर वर्मा ने रक्तदान महादान-जीवनदान को चरितार्थ किया था। उन्होंने अपनी 33 वर्ष की उम्र में 53 बार रक्तदान किया था। जहाँ भी, जब भी उन्हें पता चलता कि किसी को रक्त की आवश्यकता है वे तुरंत रक्तदान हेतु तत्पर हो जाते थे।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू जिंदगी का इम्तिहाँ होता है।
डरने वालों को मिलती नहीं कुछ जिंदगी में,
लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है।
यहां की मिट्टी को है शेषनाग का वरदान
दरसल में यहां की मिट्टी को स्वयं शेषनाग का आशीर्वाद है कहा जाता है कि एक समय बिरितिया बाबा नाम के एक व्यक्ति जो रात में सोया हुआ था उन्हें स्वयं शेषनाग सपने में आकर उन्हें कहते हैं कि गांव की एक तालाब में वह है जहां पर उनके गले में हड्डी फंसा हुआ है सपने में देखे हुए जगह पर बिरितिया बाबा पहुंचते हैं और उन्हें नागदेव कहते हैं कि वह हड्डी उनके गले से निकाल दे यह सुनकर बिरितिया बाबा उनके गले से हड्डी को निकाल देते हैं वही शेषनाग दैवीय रूप में प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि उनकी इस मिट्टी को जो भी खा लेगा उसके शरीर से कोई भी विषैले जीव का जहर उतर जाएगा जिसके बाद से यहां पर लोगों का आने का सिलसिला जारी हो गया वही ग्रामीणों का कहना यह भी है कि यहां पर अब तक लाखों लोग ठीक हो कर चले जा चुके।जिसके बाद बढ़ती आस्था को देखकर लोगो ने वहां मंदिर बना दिया ।अब हर वर्ष नांगपंचमी के दिन वहाँ मेला लगता है ।
वही जब BBN24 की टीम इस चमत्कारी मंदिर की खबर सुनकर कवरेज करने पहुंचे तो उनके सामने ही एक विषैले सांप करैत के काटे हुए मरीज वहां पर पहुंचे जिसे बेहोशी की हालत में चलाया गया लेकिन मंदिर के अंदर पूजा पाठ और जयकारा फिर मिट्टी को उसके मुंह में डालने के बाद वह मरीज खुद ही चलकर आने लगी मरीज और उनके परिजनों से क्या बात हुई आप खुद ही सुन ले।
वही जब हमने चिकित्सकों से बात की तो उनका कहना है कि यह सब एक अंधविश्वास है दरसल में भारत में लगभग 500 से भी अधिक सांप पाए जाते हैं जिसमें से कुछ ही सांप है जिनके जहर से लोगों की मृत्यु होती है बाकी लोग घबरा कर ही हार्टअटैक या फिर सोच-सोचकर उनकी मृत्यु हो जाती है वहीं कुछ सांप के काटने से उन्हें चक्कर बेहोशी जैसे हालात होते हैं अगर उन्हें एंटी स्नेक वेनम का ट्रीटमेंट दिया जाए तो बेहतर होगा साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की वह चिकित्सकीय इलाज का प्रयोग करें तांत्रिक झाड़-फूंक के झांसे में ना आए । हम अपने पाठकों एवं दर्शकों को बताना चाहेंगे कि BBN24न्यूज़ किसी भी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता ना है इस खबर की सत्यता की पुष्टि करता है यह खबर केवल क्षेत्रवासियों के आस्था पर आधारित है । वही BBN 24 न्यूज़ यह भी अपील करता है कि किसी भी प्रकार के अंधविश्वास पर ना आए एवं सर्प दंश एवं जहरीले किसी भी जीव जंतु के काटने पर झाड़-फूंक कराने के बजाय चिकित्सकीय उपचार कराने की भी अपील करता है।
छत्तीसगढ़ मा किसान मन के पहली तिहार के शुरूआत हरेली तिहार ले होथे। ये तिहार ला किसान मन खेती के बोआई, बियासी के बाद मनाथे। जेमा नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा ला चक उज्जर करके औउ गौधन के पूजा-पाठ करथे संग मा कुलदेवी-देवता, इन्द्र देवता, ठाकुर देव ला घलो सुमरथे। ये दिन किसान मन पर्यावरण बनाये राखे बर और सुख-शांति बनाये रखे के प्रार्थना करथे। बैगा मन रात में गांव के सुरक्षा करे बर पूजा-पाठ करथे। धान के कटोरा छत्तीसगढ़ महतारी ला किसान मन खेती-किसानी के उन्नति और विकास बर सुमरथे।
ये बखत हरेली तिहार में खुशहाली बढ़हिस हे जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल हा गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ राज्य के सपना ला सच करे बर छत्तीसगढ़ के पहली तिहार ‘‘हरेली’’ मा सामान्य छुट्टी देके प्रदेश के सबो लोगन ला भेंट दीस हे। मुख्यमंत्री हा सरकार बने के तुरंत बाद किसान मन के किसानी करजा ला माफ करिस हे। धान खरीदी ला 2500 रूपया प्रति क्विंटल करीस, कृषि भूमि के अधिग्रहण में 4 गुना मुआवजा के नियम बनाईस। एखरे साथ नरवा-गरवा-घुरवा औउ बारी के योजना चालू करके किसान मन बर उखर नदाये लोक संस्कृति औउ पारंपरिक चिन्हारी ला वापस लाईस हे। किसान मन ला ऐखर ले आर्थिक मजबूती मिलही। ये दरी हरेली तिहार छत्तीसगढ़ी संस्कृति के नवा कलेवर में नजर आही। प्रदेश में हरेली तिहार में सबे जिला मा विशेष आयोजन कर पकवान बनाये औउ आनी-बानी के खेल कराये जाही। नदाये तिहार ला अब सबो लोग-लईका मन जानए औउ मनाये येखर बर तिहार मन छुट्टी ला लागू करे गेहे।
ये दिन गांव-देहात में घरो-घर गुड़-चीला, फरा के संग गुलगुला भजिया, ठेठरी-खुरमी, करी लाडू, पपची, चैसेला, औउ भोभरा घलो बनाए जाथे, जेखर ले हरेली तिहार के उमंग ला दुगुना कर देथे। ये साल हरेली अमावस्या गुरूवार के पड़त हे, किसान मन अपन किसानी औजार के पूजा-पाठ कर गाय-बैला ला औषधि खवाये जाथे, ताकि वो हा सालभर स्वस्थ्य रहाय। गांव-देहात के संगे-संग शहर मन डाहर घलो हरेली तिहार मनाये जाथे। ऐसे माने जाथे कि हरेली तिहार बर खेती-किसानी के पहली काम हा पूरा हो जथे। यानी बोआई, बियासी के बाद किसान औउ गरवा मन आराम करथे। ये दिन गाय-गरवा मन ला बीमारी ले बचाय बर बगरंडा और नमक खवाय जाथे औउ आटा मा दसमूल-बागगोंदली ला मिलाके घलो खवाथे।
हरेली के दिन लोहार औउ राऊत मन घरो-घर मुहाटी मा नीम के डारा औउ चैखट में खीला ठोंके जाथे। मान्यता हे कि ऐसे करे ले ओ घर में रहैय्या मन के अनिष्ट ले रक्षा होथे। हरेली अमावस्या ला गेड़ी तिहार के नाम से घलो जानथे। ये दिन लईका मन बांस में खपच्ची लगाकर गेड़ी खपाथे। गेड़ी मा चढ़कर लईका मन रंग-रंग के करतब घलो दिखाते औउ लईका मन अपन साहस और संतुलन के प्रदर्शन घलो करथे। गांव मा लईका मन बर गेड़ी दौड़, खो-खो, कबड्डी, फुगड़ी, नरियल फेक खेल के आयोजन घलो करे जाथे।
खेती किसानी के पहली काम-बुआई औउ बियासी के बाद किसान भाई मन पानी औउ चीखला में खेत जाए बर गेड़ी बनाथे। ऐसे माने जाथे कि ऐखर ले सांप, बिच्छी, कीड़ा-मकोड़ा ले डर नहीं रहाय। छत्तीसगढ़ के पहली हरेली तिहार ले तिहार मन चालू हो जथे। एक के बाद एक तिहार आथे, जेमा हरेली तीज, नागपंचमी, राखी, कृष्ण जन्माष्टमी, तीजा, गणेश चैथ, श्राद्ध पक्ष प्रारंभ, नवरात्री, दशहरा, करवा चैथ, धनतेरस, दिवाली आथे। सबो तिहार ला छत्तीसगढ़ मा बड़े धूमधाम और जुरमिल के मनाये जाथे। ये दिन सबोझन ला खेती-किसानी औउ हरयाली ला बचाये बर कीरिया खाना चाही, तभे तो उपज बढ़ही औउ सबे सुखी रिही। जय छत्तीसगढ़ महतारी।
रेडियोडायग्नोसिस विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. एस. बी. एस. नेताम कहते हैं कि वर्तमान में नई तकनीक के आ जाने से रेडियोडायग्नोसिस के उपकरणों जैसे- एक्स रे, सोनोग्राफी तथा सीटी स्कैन जैसी मशीन का उपयोग न केवल जांच में बल्कि उपचार में भी किया जा रहा है। इनकी सहायता से जोड़ो-मांसपेशियों , किडनी व पित्ताशय की पथरी, एबलेशन, ट्यूमर और सिस्ट इत्यादि बीमारी का उपचार तथा जांच के लिए उत्तकों के नमूने लेने की सुविधा भी उपलब्ध है। रेडियोडायग्नोसिस का क्षेत्र काफी व्यापक है। यह दिनों-दिन उन्नत होते जा रहा है।
*पेट दर्द की समस्या के साथ पहुंचा मरीज
बैकुंठपुर कोरिया का 52 वर्षीय एक मरीज पेट दर्द और तेज बुखार के साथ 16 जुलाई को अम्बेडकर अस्पताल के मेडिसीन रोग विशेषज्ञ डाॅ. आर. के. पटेल के पास पहुंचा। मरीज की स्थिति को देखते हुए डाॅ. पटेल ने तुरंत प्रारंभिक जांच व सोनोग्राफी की सलाह दी। सोनोग्राफी करवाने के लिए मरीज रेडियोडायग्नोसिस के इंटरवेंशन रेडियोलाॅजिस्ट डाॅ. विवेक पात्रे के पास पहुंचा जहां पर डाॅ. पात्रे ने गंभीरता के आधार पर मरीज की तुरंत सोनोग्राफी की जिसमें मरीज के लीवर के अंदर बहुत बड़ा फोड़ा (एब्सेस) दिखाई दिया। मरीज की स्थिति बेहद गंभीर होने के कारण डाॅ. पात्रे ने लीवर में स्थित फोड़े से मवाद को तुरंत निकालने का निर्णय लिया।
*पिन होल तकनीक से किया प्रोसीजर
सबसे पहले मरीज के परिजनों को मरीज की गंभीर स्थिति के बारे में समझाते हुए हाई रिस्क कंसेट लिया। उसके बाद अल्ट्रासाउंड मशीन के मार्गदर्शन में फोड़े पर नीडिल डालते हुए वायर की सहायता से रास्ता बनाकर उसमें नली डालकर मवाद को बाहर निकाला। मवाद अत्यंत गाढ़ा था इसलिए उसको पतला करने के लिए डाॅ. विवेक पात्रे ने नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उसमें दवा डालकर मवाद को पतला किया। यदि मवाद को पतला नहीं करते तो वह ट्यूब की सहायता से बाहर नहीं निकलता। फोड़े से करीब ढाई से तीन लीटर मवाद निकला। इस प्रक्रिया के लिये मरीज को बेहोशी की जरूरत नहीं पड़ी। केवल उसी स्थान को सुन्न किया गया जहां से मवाद निकालना था। मरीज का इलाज पिन होल तकनीक से किया गया। पिन होल तकनीक अर्थात् बिना चीर-फाड़ के नीडिल की सहायता से लीवर के मवाद निकालने की एक प्रक्रिया। मरीज के उपचार से संतुष्ट उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मीना द्विवेदी का कहना है कि मेरे पति यहां बेहोशी की हालत में आये थे। उपचार के बाद आज वे बिलकुल स्वस्थ्य हैं और डाॅक्टरों ने उनका त्वरित इलाज किया इससे हम लोग खुश हैं।
शुरूआत में नजर नहीं आते लक्षण
मेंडिसीन रोग विशेषज्ञ डाॅ. आर. के. पटेल कहते हैं कि प्रारंभिक दौर में लीवर से संबंधित बीमारियों का कोई लक्षण नजर नहीं आता इसलिए 30 से 40 साल की उम्र के बाद सभी को साल में एक बार लीवर फंक्शन टेस्ट और सोनोग्राफी जरूर करवाना चाहिए। पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे पेट में दर्द, कब्ज या लूज मोशन और वोमिटिंग, हल्का बुखार, भोजन में अरुचि, थकान और बेचैनी, वजन का घटना लीवर से सम्बन्धित बीमारी के लक्षण हैं। बैक्टीरिया के लिए रक्त का कल्चर परीक्षण, लीवर बायोप्सी, लीवर इन्फेक्शन परीक्षण, सीबीसी इत्यादि जांच महत्वपूर्ण होते हैं। पेट के अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन से लीवर एब्सेस की जांच की जाती है। अगर लीवर में कोई जख्म हो तो शुरुआत में मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, जिससे वह घाव सूख जाता है। अगर तकलीफ ज्यादा बढ़ जाए तो खास तरह की नली या सीरिंज द्वारा उसके पस को बाहर निकाला जाता है। लीवर एब्सेस के मरीज उपचार के बाद पूर्णतः स्वस्थ हो जाते हैं। उपचार के बाद मरीज को समय-समय पर लीवर फंक्शन टेस्ट/एल. एफ. टी. जरूर करवाना चाहिए।
शरीर सबसे बड़ी अंतः स्त्रावी व महत्वपूर्ण ग्रंथि लीवर
लीवर मानव शरीर की सबसे बड़ी अंतः स्त्रावी ग्रंथि और मानव शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। वयस्क व्यक्ति में लीवर का वजन 1.3 से 1.6 किलोग्राम तक होता है। यह रक्त में फैट, अमीनो एसिड और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखता है और शरीर को इन्फेक्शन और हैमरेज से भी बचाता है। लीवर में आयरन, जरूरी विटामिंस और केमिकल्स का संग्रह होता है और यहीं से शरीर की जरूरत के मुताबिक इन तत्वों की आपूर्ति होती है। आकस्मिक रूप से जब भी शरीर को एनर्जी की जरूरत होती है तो यह स्टोर किए गए कार्बाेहाइड्रेट को ग्लाइकोजेन में परिवर्तित करके शरीर को तुरंत एनर्जी देता है।