कृषि सुधार विधेयकों के विरोध के बीच सरकार ने रबी की छह फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, ,खत्म नहीं होगी MSP व्यवस्था
कृषि सुधार विधेयकों के संसद में आने के बाद से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जताई जा रही चिंता और विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने बड़ा दांव चल दिया है। केंद्र सरकार ने सोमवार को रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा कर दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में इसकी घोषणा करते हुए बताया कि सरकार ने गेहूं, चना, मसूर, सरसों, जौ और कुसुम के एमएसपी में इजाफे की घोषणा कर दी है। कृषि मंत्री ने कहा कि इसके साथ सरकार ने साबित कर दिया है कि एमएसपी और एपीएमसी की व्यवस्था खत्म नहीं होगी।
कृषि मंत्री ने कहा, रबी की बुआई शुरू होने से पहले ही सरकार ने छह रबी की फसलों की एमएसपी बढ़ा दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इसको मंजूरी दी गई है। गेहूं की एमएसपी 50 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 1975 रुपए हो गई है। चने में 225 रुपए की वृद्धि के बाद एमएसपी 5100 प्रति क्विंटल होगा। मसूर में 300 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि के बाद 5100 रुपए क्विंटल होगा। सरसों में 225 रुपए का इजाफा किया गया है और अब इसकी एमएसपी 4600 प्रति क्विंटल है। जौ में 75 रुपए की वृद्धि की गई है और किसानों से 1600 रुपए प्रति क्विंटल खरीद होगी। कुसुम में 112 रुपए की वृद्धि के बाद एमएसपी 5327 रुपए होगी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार में ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु के साथ लगभग 12 परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिसमें किउल नदी पर एक रेल सेतु, दो नई रेल लाइनें, पांच विद्युतीकरण से संबंधित, एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड और बाढ़ और बख्तियारपुर में तीसरी लाइन परियोजना भी शामिल है।
वहीं, अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा है कि आज बिहार में रेल कनेक्टविटी के लिहाज से नया इतिहास बनाया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही राज्य में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण, रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने सहित एक दर्जन परियोजनाओं का आज लोकार्पण एवं शुभारंभ हुआ है।
आपको बता दें कि 1887 में ब्रिटिश काल के दौरान निर्मली और भपटियाही के बीच कोसी की सहायक तिलयुगा नदी पर लगभग 250 फुट लंबा मीटरगेज रेलपुल का निर्माण किया गया था । परंतु 1934 में आई भारी बाढ और विशकारी भूकंप में यह मीटरगेज रेलपल ध्वस्त हो गया । इसके बाद वर्ष 2003-04 में कोसी महासेतु नई रेल लाइन परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई । कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई 1.9 किलोमीटर है जिसके निर्माण पर कुल 516 करोड़ की लागत आई है । भारत-नेपाल सीमा के लिए सामरिक दृष्किोण से भी यह रेल महासेतु काफी महत्वपूर्ण है । इस परियोजना को कोविड महामारी के दौरान ही अंतिम रूप दिया गया जिसमें प्रवासी श्रमिकों की भी सेवा ली गई ।
इस प्रकार बिहार राज्य विशेषकर कोसी क्षेत्र के लोगों का 86 वर्ष पुराना सपना अब साकार होने जा रहा है । माननीय प्रधानमंत्री जी ऐतिहासिक और चिर-प्रतीक्षित कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करने के साथ ही सहरसा-आसनपुर कुपहा डेमू ट्रेन का सुपौल स्टेशन से शुभारंभ करेगे । परिचालन प्रारंभ हो जाने के बाद सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को काफी लाभ होगा । साथ ही इस क्षेत्र के लोगों के लिए कोलकाता, दिल्ली और मुंबई तक की लंबी दूरी की ट्रेनों से यात्रा करना काफी सुविधाजनक हो जाएगा ।
सहरसा-सरायगढ़-आसनपुर कुपहा रेलखंड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर है जिसमें सहरसा से सुपौल (26 किमी) तक ट्रेनों का परिचालन जारी है । अब कोसी रेल महासेतु बन जाने के बाद सुपौल से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन परिचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है ।
आपको बता दे कि भारत बायोटेक ने 20 बंदरों को चार अलग-अलग ग्रुप में बांटकर रिसर्च किया. एक ग्रुप को प्लेसीबो दिया गया, बाकी तीन ग्रुप्स को तीन अलग-अगल तरह की वैक्सीन 14 दिन के अंतराल पर दी गई. किसी भी बंदर में निमोनिया के लक्षण नहीं मिले.
नई दिल्ली- भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच चीन के रक्षा मंत्री जरनल वेइ ने राजनाथ सिंह से मिलने की इच्छा जताई है। जागरण के मुताबिक रूस की राजधानी मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर चीन के रक्षा मंत्री जरनल वेइ ने भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मुलाकात की इच्छा जाहिर की है। सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच जारी तनाव के मद्देनजर इस घटनाक्रम को बेहद अहम माना जा रहा है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
ज्ञात हो कि राजनाथ सिंह और वांग यी दोनों ही शुक्रवार को होने वाली एससीओ बैठक में हिस्सा लेने के लिए मास्को में हैं। हालांकि, भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से चीनी रक्षा मंत्री के राजनाथ सिंह से मुलाकात की इच्छा पर कोई बयान अभी तक सामने नहीं आया है। बता दें इससे पहले सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात नहीं करेंगे।
पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर 29-30 में आधी रात को और 31 अगस्त की रात चीनी सेना की ओर से घुसपैठ की कोशिश के कारण बढ़े तनाव बाद से ही भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। भारत पैंगोंग झील के उत्तरी इलाकों से चीन को अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए कह रहा है। चीन की चालबाजियों के कारण ही ब्रिगेडियर स्तर की पहले हुई वार्ता में कोई हल नहीं निकल पाया। ऐसे में दोनों देशों के बीच हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
बहरहाल, भारतीय सैनिकों ने रेकिन ला और रेजांग ला के इलाकों पर नियंत्रण किया जहां वर्ष 1962 के बाद से कभी भारतीय सेना ने अपने सैनिक नहीं भेजे थे। इन दोनों ही जगहों पर वर्ष 1962 में भीषण लड़ाई हुई थी। पैंगोंग झील के करीब स्पांगुर गैप के पास ‘मगर हिल’ और ‘गुरुंग हिल’ पर भी भारतीय सैनिकों का नियंत्रण स्थापित हो गया है। इस प्रकार इस समय पेंगोंग के दक्षिण किनारे से लेकर रेजांग ला तक सभी पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों का नियंत्रण है। भारत और चीन की सेनाएं इस इलाके में महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर खड़ी हैं और तनाव चरम पर है।
बता दें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के तीन दिवसीय दौरे पर है। इस दौरान वह आज एससीओ की बैठक में शामिल होंगे। मॉस्को दौरे के दौरान भारत और रूस ने अत्याधुनिक एके-203 राइफल भारत में बनाने के लिए एक बड़े समझौते को अंतिम रूप दे दिया है। आधिकारिक रूसी मीडिया ने यह जानकारी दी।