ग्रीष्मकालीन बीमारियों के रोकथाम एवं उपचार के लिए प्राथमिकता के साथ पहल किया जाये लू के लक्षण व उनसे बचने के उपाय
रायपुर स्वास्थ्य संचालक ने सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे अपने अपने जिलों ग्रीष्मकालीन संक्रामक बीमारियों की रोकथाम एवं उपचार के लिए सकारात्मक पहल करे। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण लू लगने की संभावना रहती है। यह कभी कभी जानलेवा भी साबित हो सकती है। किंतु कुछ सरल उपाय का पालन कर लू से बचा जा सकता है।
संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅ.साहनी ने बताया कि इसके लक्षण बहुत तेज बुखार, पसीना न निकालना, सर मे दर्द, हाथ पैर में दर्द, त्वचा का लाल होना, चक्कर आना, बेहोशी इत्यादि है। लू से बचने के उपाय जहां तक संभव दोपहर के धूप में निकलने से बचे, दोपहर मे अगर धूप मे निकलना जरूरी हो तो खाली पेट घर से बाहर न निकले, शरीर को पूरी तरह ढकने वाले सफेद या हल्के रंग के सूती कपड़ा पहने, सिर और चेहरे को भी कपड़े से ढक कर रखे आंखो के बचाव के लिये धूप का चश्मा उपयोग कर सकते है, दोपहर की गर्मी मे अधिक शारीरिक श्रम से बचे और यदि बचा न जा सके तो हर आधे घंटे के बाद 10 मिनट के लिये छांव मे आराम करे, पानी एवं अन्य तरल पदार्थाें का अधिक से अधिक सेवन करे, मादक पदार्थों के सेवन से बचे चाय या काफी का अधिक सेवन न करे। उपरोक्त उपायो का पालन करे एवं लू से बचा जा सकता है।
चिकित्सकों ने इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले के द्वारा मुख्यालय में नियमित रूप से रहकर क्षेत्र की स्थिति पर निगरानी रखी जाये। वहीं जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सहित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और उपस्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और मितानिनों के पास पर्याप्त मात्रा में जीवनरक्षक दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाये। इसके साथ ही सूचना तंत्र विकसित कर मौसमी बीमारियों पर सतत् निगरानी रखी जाये।
स्वास्थ्य केन्द्रों में लू से पीडितों का उपचार करने हेतु ओआरटी काॅर्नर/ओरल रिहाईड्रेशन थेरेपी स्थापित करते हुए बेड आरक्षित करने के निर्देश समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन व अस्पताल प्रभारी अधिकारियों को दिये गये हैं । उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर ओआरएस सहित अन्य अति आवश्यक व आईवीफ्लूड/ग्लोकोस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये गये हैं ।