एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ने पर लगे रोक : चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कानून में ऐसे संशोधन की सिफारिश की है, जिससे कोई व्यक्ति एक साथ दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सके।
चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से कानून में ऐसे संशोधन की सिफारिश की है, जिससे कोई व्यक्ति एक साथ दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सके या ऐसे कानूनी प्रावधान किए जाएं जिससे कोई उम्मीदवार यदि दो सीटों पर चुनाव लड़कर दोनों सीटें जीत जाए और फिर उसे कानूनन एक सीट खाली करनी पड़े, तो ऐसी स्थिति में वह खाली की जा रही सीट पर होने वाले उप-चुनाव के लिए ‘‘उचित’’ धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराए। जनप्रतिनिधित्व कानून किसी व्यक्ति को आम चुनाव या उप-चुनाव या दो साल पर होने वाले चुनाव में अधिकतम दो सीटों से किस्मत आजमाने की इजाजत देता है। हालांकि, दोनों सीटें जीत जाने पर कोई व्यक्ति इनमें से किसी एक सीट पर ही कायम रह सकता है और दूसरी सीट उसे छोड़नी पड़ती है।
चुनाव कानूनों में 1996 में हुए एक संशोधन से पहले किसी व्यक्ति की ओर से लड़ी जा सकने वाली सीटों की संख्या पर कोई बंदिश नहीं थी। चुनाव सुधार पर इस महीने की शुरूआत में कानून मंत्रालय को भेजी गई अपनी सिफारिशों में चुनाव आयोग ने कहा कि उसने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33:7: में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
साल 2004 के अपने प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने कहा था कि यदि लोगों को एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कानून में बदलाव नहीं किए जा सकते तो जीतने वाले उम्मीदवार को सीट खाली करने पर वहां होने वाले उप-चुनाव का खर्च वहन करना चाहिए। आयोग ने उस वक्त विधानसभा और विधानपरिषद चुनावों के लिए पांच लाख रूपए जबकि लोकसभा चुनावों के लिए 10 लाख रूपए की धनराशि का प्रस्ताव किया था।
चुनाव आयोग की ओर से की गई सिफारिशों में कहा गया, ‘‘जब कोई उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है और दोनों सीटों पर जीत हासिल करता है तो यह जरूरी है कि वह इनमें से कोई एक सीट खाली करे ।’’ सिफारिशों में कहा गया, ‘‘खाली हुई सीट पर उप-चुनाव कराने से सरकारी खजाने, मानवशक्ति और अन्य संसाधनों पर पड़ने वाले अपरिहार्य वित्तीय बोझ के अलावा यह उस चुनाव क्षेत्र के वोटरों के साथ नाइंसाफी होती है, जहां की सीट उम्मीदवार ने खाली की हो ।