कई सालों से पर्यावरण दिवस आते जाते रहे पर शासन एवं वन विभाग को कोई सुध नही
पंकज दुबे ( विशेष खबर )
कुदरत का एक बहुत ही अनमोल तोहफा है पेड़-पौधे. ये हमें फल फूल लकड़ी ईंधन इत्यादि बहुत सी चीजें देते हैं. पेड़-पौधों के बिना जीवन अपूर्ण है या यूँ कहिए कि जीवन असंभव है. पेड़-पौधों की वजह से आज पृथ्वी पर जीवन संभवा है परंतु वन विभाग भी इन सब चीजों को अनदेखा करने लगा है वन विभाग के कर्मचारियों की निष्क्रियता के कारण जहां जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है कुछ इस तरह मुलमुला बिलासपुर मुख्य मार्ग पर सरकारी जमीन पर सरकार द्वारा लगभग 10 साल पहले मुलमुला बिलासपुर मुख मार्ग के दोनों तरफ सागौन का पौधा लगाया जो बिना देख रेख के जैसे तैसे अपने वृक्ष आकर में हरयाली से भरा एक छोटा जंगल बनगया है यह बहुत अधिक क्षेत्रफल पर नहीं है पर देखने से शांत मनमोहक दिखाई देता है सुरवात में इस क्षेत्र को फेंसिंग तार के घेरे से इस स्थान को सुरक्षित किया गया था परन्तु धेरे में उपयोग किये गए सीमेंट के खम्भे टूट कर बिखर चुके है प्रतिदिन इस जंगल से मनुष्यों द्वारा बिना किसी डर अपने घरेलु उपयोग केलिए वृक्षों की कटाई की जा रही है और देख रेख के अभाव में लगाय गये कीमती सागौन के पेड़ सुखाने लगे है वन विभाग द्वारा पेंड़ो के सिचाई की किशी प्रकार वयवस्था नहीं की गई है शाम के समय यहाँ असामजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है जिसके कारण कभी भी अनहोनी होने की संभावना है जंगल के बीच से दोपहिया गाड़ी चलाने रास्त बनादिया है जिसमे रोजाना कोनार से कुटिधाट जल्दी पहुचे केलिए ग्रामीण उपयोग में लारहे है इसे पेड़ को काफ़ी नुकसान होरहा है पतझड़ का मौसम एवं गर्मी होने के कारण सागौन वृक्ष के सूखे पत्तो में कभी भी आग लगने की संभावना बनी रहती है कई बार आग लग भी गया है ऐसा ही रहा तो सारे पेड़ नष्ट होजांगे अभी तक शासन द्वारा उचित कदम नहीं उठाया गया है|
विशेष -- ताजुब की बात यह भी है कि महज 8 कि.लो मीटर कि दूरी पर एक सीमेंट प्लांट और निर्माण धिन पॉवर प्लांट है इन कारखानों की चिमनी से 24 धंटे प्रदुषण निकलता है एवं कारखानों में चलने वाले बड़े बड़े मालवाहक ट्रक जंगल से समीप बसे बस्तियों से होकर गुजरता है मानो इनको भी पर्यवरण की फिक्र नही केवल ये धड़ले से वातावरण प्रदूषण में लगे हुए हैं आज तक सरकारी एवं निजी प्रशासन ने इस क्षेत्र का जायजा नहीं लिया है।
खास बात – इस छोटे से जंगल को देखने पर मानो कोई उद्यन जैसा दिखाई देता है अगर इसे वन विभाग अछे से देख रेख किया जाये तो सेर सपाटे केलिए बगीचा भी बनाया जा सकता है|
पटवारी रेकॉर्ड अनुसार खसरावार जानकारी
खसरा नंबर 1/1 = 99 एकड़
खसरा नंबर 3 = 49 एकड़
खसरा नंबर 259/1 = 96 एकड़
लगभग 60 प्रतिशत जगहों पर पेड़ लगा हुआ है