Date : 11-November-2021
बलौदाबाजार जिले के मिलर एसोसिएशन ने प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित अटल नगर रायपुर एवं कलेक्टर खाद्य शाखा जिला बलौदा बाजार को पत्र सौंपकर खरीफ वर्ष 2020- 21 के कस्टम मिलिंग बिल माड्यूल की विसंगतियों का निराकरण करने हेतु पत्र लिखा है। मिलरो के अनुसार बलौदाबाजार- भाटापारा जिला के मिलर द्वारा समर्थन मूल्य में उपार्जित धान खरीद वर्ष 2020 -21 के साथ ही खरीफ वर्ष 1920 के शेष बचत धान की कस्टम मिलिंग शासन के निर्देशानुसार की गई है। मिलर द्वारा कस्टम मिलिंग कार्य करने में समस्त प्रकार के खर्चों को अपने पास से वाहन किया गया है। जिसमें धान का परिवहन, चावल परिवहन, हमाली, लोडिंग, अनलोडिंग, बारदाना जमा जैसे कार्य शामिल हैं। वर्ष 2020- 21 के बिल मॉड्यूल में बारदाना जमा में मिलर को मिलने वाला यूजर चार्ज परिवहन की वास्तविक राशि, हमाली राशि, बारदाना राशि, जैसे कई मदों में मिलों को मिलने वाले भुगतान बिल माड्यूल में नहीं जोड़ा गया है। जिससे मिलरों को भारी नुकसान हुआ है। पुराना बारदाना में मिलर का 18.2 रुपए काटे गए। जबकि किसानों ₹15 में बारदाना लिया गया है। मिलर को जमा बारदाने में ₹15 दिया गया है। जब कि ₹18 काटा गया है। जिससे मिलर को ₹3 का नुकसान हुआ है। इस राशि में मिलरो के मद में ₹15 काटने चाहिए। मिलर द्वारा समितियों एवं संग्रहण केंद्रों में बारदाना की आपूर्ति की गई है। जिसमें मिलर को उपयोगिता शुल्क 7.32 रुपए पिछले वर्षों से प्राप्त होता रहा है।किंतु वर्ष 2021 में उपयोगिता शुल्क बिल में यह राशि नहीं जोड़ी गई है। समितियों से धान उठाव में मिलर द्वारा की गई लोडिंग और हमाली नहीं दी गई। जिससे मिलर को लोडिंग और अनलोडिंग की हमाली का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी तरह चावल प्रदाय में प्राप्त होने वाली हमाली भी नहीं दी गई। धान एवं चावल प्रदाय में परिवहन राशि बहुत कम दर्शाई गई है। जिसके लिए वास्तविक परिवहन दर से भुगतान किए जाने की मांग मिलर एसोसिएशन द्वारा की गई है। जबकि प्लास्टिक बारदाना जिसमें पहली बार समिति से धान भरकर भेजा गया उसमें 22.87 रुपए एवं दोबारा उपयोग में 14 .18 रूपए की कटौती की गई है। जिसे मिलर ने पूर्णतः अनुचित बताया है। पहली बार समिति से उठाव पर एक भर्ती की राशि तथा दूसरी बार पुनः 38% डिफरेंस राशि की कटौती की जानी चाहिए। प्लास्टिक बारदाना मिलर द्वारा समिति में जमा किया गया है उसे बिल मॉडल में शामिल नहीं किया गया है। संग्रहण केंद्र से धान उठाव में कई बार बेमौसम वर्षा, गाड़ियों का ना लगना, हमालों की कमी, बारदाना की कमी, अधिक गाड़ियों का लगना जैसे कारणों के चलते धान उठव में विलंब हुआ है। जिसके कारण धान उठाव के पेनाल्टी को बिल माड्यूल में जोड़ दिया गया है, जो कि अनुचित है। शासन द्वारा नान/ एफसीआई के चावल प्रदाय की तिथि में वृद्धि की गई है। इसी नियम के तहत कस्टम मिलिंग अनुबंधों में भी समय वृद्धि की जानी चाहिए, एवं पेनाल्टी बिल को हटाना चाहिए। किंतु ना तो अनुबंध की समय वृद्धि की गई ना ही पेनाल्टी राशि को बिल से हटाया गया है। खरीफ वर्ष 2019-20 के बचत धान की मिलिंग इस वर्ष मिलों द्वारा की गई है। जिसका बिल माड्यूल मिलरों के खाते में प्रदर्शित नहीं किया गया है। जिसके कारण मिलरों को घाटा हुआ है। मिलरो ने अपनी मांग में कहा कि बचे हुए धान, जो कि वर्ष 19-20 की खरीदी के माध्यम से आया है। उसे अमानत घोषित किया जाना चाहिए। कस्टम मिलिंग में मिलर को अभी तक हमाली की राशि नहीं दी गई है। मिलरो ने इस राशि का भुगतान करवाने की मांग की है। पिछले 21 वर्षों में धान का मूल्य व विभिन्न खर्चा परिवहन, बिजली, बिल, हमाली ,रेजा, कुली, मिस्त्री, अन्य में 8 से 10 गुना की वृद्धि हो गई है। किंतु मिलर को कस्टम मिलिंग का ₹10 व प्रोत्साहन राशि का ₹30 कुल ₹40 प्रति कुंटल ही प्राप्त हो रहा है। महंगाई को ध्यान में रखकर कस्टम मिलिंग की दर में कम से कम 8 गुना वृद्धि की मांग मिलरो द्वारा की गई है। वर्तमान में महंगाई को देखते हुए शासन द्वारा जो मिलिंग की राशि दी जा रही है उसके चलते मिलर को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी प्रकार मिलरों की सबसे बड़ी समस्या पतला धान खरीदी करने में है। पतला धान खरीदी करने के पश्चात चावल बनाकर शासन को देने में एलजी के कारण पास नहीं होता है। और समितियों की खरीदी के समय इसका कोई मापदंड नहीं होता। जिसके कारण मिलरो को कठिनाई और आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। पतला धान को भी सरना धान की श्रेणी में रखकर खरीदी करने की मांग की गई है। प्रदेश में अरवा चावल क्वालिटी का धान 40- 50% ही होता है। बाकी मोटा धान उसना क्वालिटी का होता है। अरवा धान मिलिंग करने वाले मिलर को सरना धान की मिलिंग करने हेतु धान प्रदाय किया जाना चाहिए। एवं मोटा धान के लिए शासन और केंद्र सरकार से उसना चावल लेने की योजना बनानी चाहि।ए मिलरों ने मांग की है कि यदि टेंडर द्वारा धान विक्रय की योजना शासन बनाता है तो उसमें मोटा धान का ही विक्रय किया जाना चाहिए। वर्ष 2021- 22 की धान खरीदी हेतु बारदानों की आवश्यकता के लिए मिलरों ने कहा कि इस संबंध में भुगतान राशि के संबंध में स्पष्ट आदेश जारी करना चाहिए। मिलर के पास बचे हुए प्लास्टिक बारदाना को समितियों में जमा लेने चाहिए। जिससे धान खरीदी में शासन को लाभ होगा। मिलर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष देवेंद्र भृगु ने शासन से मांग करते हुए कहा कि वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020- 21 के बिल माड्यूल में सुधार कर कस्टम मिलिंग की राशि प्रदान किया जाना चाहिए।