जांजगीर चांपा :-मालखरौदा विकासखंड अंतर्गत सारसकेला के छात्र-छात्राओं द्वारा स्कूल के अव्यवस्थाओं को लेकर जनपद परिसर में हंगामे के साथ अपना प्रदर्शन किया दरसल में सारसकेला के शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षकों की कमी ,बैठक व्यवस्था ,भवन की कमी को लेकर छात्र अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों के पास आएं और जमकर नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किए जिसके समर्थन देने के लिए जोगी कांग्रेस के चंद्रपुर विधानसभा प्रत्याशी गीतांजलि पटेल पहुंची उन्होंने अधिकारियों को यह कहा कि छात्रों की मांग जो है वह उनका हक है और उन्हें जल्द से जल्द पूरा कराना यह आपकी जिम्मेदारी है । गीतांजलि पटेल ने कहा कि छात्र आज पढ़ाई छोड़ कर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं यह दुर्भाग्य की बात है और वह स्वयं छात्रों के बीच चिलचिलाती धूप में भी बैठ कर उनका समर्थन दिए साथ ही छात्र छात्राओं के लिए बिस्किट पानी पाउच का व्यवस्था किए और जब अधिकारियों के लिखित आश्वासन के बाद छात्र माने जिसके बाद परिसर में फैले कचरे को स्वयं गीतांजलि पटेल साफ करना चालू कर दिए जिसे देख कार्यकर्ता एवं छात्र छात्राएं भी सफाई करने में भिड़ गए ।उनका यह संदेश स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रेरणादायक साबित होता हुआ नजर आया।
जहा जैसा माहौल वैसे रूप में ढल जाते है गीतांजलि
आपको बता दे कि गीतांजलि पटेल क्षेत्र के ऐसे नेत्री है जो किसानों की आंदोलन, उद्योगो के आंदोलन में धूप छाव पानी बरसात की परवाह किये बगैर क्षेत्रवासियों के हक के लिए लड़ाई लड़ती है यही कारण है कि क्षेत्र के जनता की चहेती है।
रायपुर - बस्तर के सहायक कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा और पंडरिया की तसीलदार करिश्मा दुबे दोनों अधिकारी शनिवार को रायपुर के गायत्री मंदिर में अग्नी को साक्षी मानकर सात फेरे लिए और सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाकर परिणय सूत्र में बंध गए। शादी पारंपरिक रीति रिवाज के साथ संपन्न हुई। शादी के बंधन में बंधने के बाद रविवार को रायपुर के डीडी नगर में एक भव्य रिस्पेशन का कार्यक्रम है, जिसमें छत्तीसगढ़ के कई प्रशासनिक अधिकारी और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी शामिल होंगे। आईएएस चंद्रकांत और करिश्मा ने साथ में पढ़ाई की है और दोनों काफी अच्छे दोस्त रहे हैं, लेकिन अब वो दोस्ती शादी में बदल गयी है।
बता दे की चंद्रकांत वर्मा 2017 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के 5 IAS में से इकलौते होम कैडर के IAS हैं। आईएएस वर्मा पहले राज्य प्रशासनिक सेवा में ही थे, लेकिन बाद में उन्होंने संघर्षों की नयी इबारत लिखी और फिर 7 बार नाकाम होने के बाद यूपीएससी में कामयाबी का झंडा बुलंद किया। 2008 बैच के PSC में चंद्रकांत बतौर डिप्टी कलेक्टर थे।
करिश्मा दुबे 2008 बैच में PSC के जरिये तहसीलदार में सेलेक्ट हुई थी। करिश्मा दुबे 2008 बैच की तहसीलदार हैं और मौजूदा वक्त में पंडरिया में पदस्था है। करिश्मा ने भी बड़े संघर्षों के बाद मुकाम हासिल किया है। इससे पहले करिश्मा शिक्षाकर्मी और महिला बाल विकास विभाग के महिला पर्यवेक्षक के तौर पर कार्य कर चुकी है।
आज मैंने खुद से एक प्रश्न की की क्या कभी कोई व्यक्ति किसी भी काम में परफैक्ट होता है मन ने जवाब दिया की नहीं ?हमसे जिंदगी भर हर काम में गलतियां होती ही रहती है तो फिर इन्सान कैसे कह सकता है की वो इस काम में परफैक्ट है | मरते दम तक इंसान से गलतियाँ होती है फिर भी इंसान दुसरे इंसान से उम्मीद जरुर रखता है की वो उस काम में परफैक्ट हो जाए |मैं ये समझने की कोशिश कर रही हूँ की हम ही कहते है की किसी भी चीज को सिखने के लिए उम्र कम पड़ जाती है फिर भी सिखने को बहुत कुछ बच जाता है |
जब से हम पैदा होते है तब से लोगों की उम्मीदें भी हमसे बंधना शुरू हो जाती है | पैदा होने को कुछ ही मिनट होते है की माता –पिता हमसे ये उम्मीद लगा बैठते है की कब हमारा बच्चा हमे मम्मी पापा कहेगा कब वो चलना सीखेगा |जब हम स्कूल जाना शुरू करते है तब घर वाले हमसे उम्मीद करते है की हर बार हमारा बच्चा ही पूरी क्लास में अवल आये |जैसे तैसा करके हम स्कूल से निकल कर कॉलेज आते है तब वहां घर वालों से ज्यादा फिकर बहार वालों को होनी शुरू हो जाती है की फलाने का बेटा या बेटी किस कॉलेज में एडमिशन ले रहें है किसका बच्चा डॉक्टर बन रहा और किसकी बेटी इंजीनियर |
जब वो कॉलेज की डिग्री लेकर नौकरी करने निकलता है तो अब वो खुद से ही उम्मीद करता है की वो अब अच्छी नौकरी कर अच्छे पैसे कमा लेगा |थोडा इधर उधर भटकने के बाद अच्छी नौकरी भी मिल जाती है अब यहां भी उम्मीद हमारा पीछा नहीं छोडती| अब यहाँ बॉस हमसे उम्मीद करता है की हम अपने काम में परफैक्ट बने चलो थोडा बहुत काम करके हम बॉस को खुश भी कर देते है और उनको अहसास दिलाते है की हम आपकी उम्मीद पर खरा उतरेंगें |
अब हम उम्र के एक एसे मुकाम में आते है जहां हमें एक जीवनसाथी की जरुरत होती है | घर वालों की मर्जी से एक जीवन साथी भी मिल जाता है |जिंदगी में नया रिश्ता जुड़ते ही और उम्मीद की लिस्ट बड जाती है एक अच्छे पति और बीवी बन्ने की उम्मीद |कुछ दिन बीतने के बाद हम एक से दो हो जाते है अब जिन्दगी नया मोड़ लेती है नन्हे नन्हे छोटे से कदम हमारी जिन्दगीं में आते है यहां फिर उम्मीद हमारा दरवाजा खटखटाती है अपने बच्चे की अच्छी परवरिश करने की उम्मीद |अब जिंदगी हमे उस मुकाम में ले आती है जब हमारा जीवन अपने बच्चों पर आश्रित होता है अब हम यहाँ अपने बच्चों से उम्मीद करते है की वो हमारा ख़याल रखे |
सार ये है की जन्म से लेकर मरन तक हम खुद से, दूसरों से सिर्फ और सिर्फ उम्मीद ही करते रहते है वो हमरी उम्मीदों में खरा उतरे कोई गलती ना हो यही सोचते सोचते सारी उम्र निकल जाती है | एक वक्त एसा अता है की हम खुद से ये सवाल पूछते है की क्या हम एक परफैक्ट इंसान बन पाए है ? जवाब है हाँ भी और नहीं भी क्यूँ की हम जिसकी उम्मीदों में खरा उतरे उसके लिए एक परफैक्ट इंसान है और जिसकी उम्मीद में खरा नहीं उतरे उसके लिए परफैक्ट इंसान नहीं बन पाए |सब से बड़ा सवाल ये है की क्या हम खुद की नज़रों में एक परफैक्ट इंसान बन पायें है ये हमारे लिए सबसे बड़ा सवाल है ? जिन्दगी हमें हर पल कुछ नया सिखाती रहती है और हम हर पल कुछ नया सीखते रहते है जब हर पल सिखाने और सिखाने का काम जारी रहता है तो इंसान परफैक्ट कैसे हो सकता है ?
वर्षा गलपांडे