रायपुर, 17 मई 2020कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के इस दौर में जब अपनों ने मुंह फेर लिया। मालिकों और ठेकेदारों ने पल्ला झाड़ लिया। ऐसी स्थिति में देश के विभिन्न शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों की कम्पनियों, फेक्टरियों, मिलों, कल कारखानों, ऊंची-ऊंची अट्टालिकाओं के निर्माण में दिन रात पसीना बहाने वालों श्रमिक बेबस होकर रोते बिलखते अपने-अपने गांवों का सफर तय करने पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े। हजार-हजार ढेड-ढेड हजार किलोमीटर की दूरी को श्रमिकों ने पांव-पांव नापने लगे। देश का शायद ही ऐसा कोई कोना बचा हो जहां के हाईवे और सड़कों पर श्रमिकों का रेला न दिखाई देता हो। बेबस मजदूर अपनी छोटी-मोटी गृहस्थी की गठरी सर पर उठाए, नन्हे-मुन्हे, छोटे बच्चों को कांधे पर लादे अपनी बेबसी की दास्तां खुद बयां कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं पर पहुंचने वाले सभी श्रमिकों के चाय, नाश्ते, भोजन की सुविधा, स्वास्थ्य परीक्षण एवं परिवहन निःशुल्क व्यवस्था ने श्रमिकों के दुख दर्द पर काफी हद तक मरहम लगाने का काम किया हैै। इस बेबसी के आलम में श्रमिकों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशीलता के सभी कायल है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के सभी सीमाओं पर पहुंचने वाले प्रवासी श्रमिकों को, चाहें वो किसी भी राज्य के हो, उन्हें छत्तीसगढ़ का मेहमान मान कर शासन-प्रशासन के लोग उनके सेवा-सत्कार में शिद्दत से जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री की अपील पर श्रमिकों की सहायता में राज्य के स्वयं-सेवी, समाज सेवी संस्थाओं, उद्योग और व्यापारिक संगठनों के लोग भी बराबर की साझेदारी निभा रहे हैं। बेबस प्रवासी श्रमिकों को सहूलियत और सहायता पहुंचाने के छत्तीसगढ़ सरकार को इंतजाम को देखकर बरबस इकबाल की यह नज्म याद आती है- हो मेरा काम गरीबों की हिमायत करना, दर्द मंदों और जईफों से मोहब्बत करना।
राजधानी रायपुर में स्थित टाटीबंध का इलाका प्रवासी श्रमिकों का संगम बना हुआ है। यहां रोजाना हजारों की तादाद में अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिक महाराष्ट्र, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश से दो-तीन दिनों का कष्टकारी सफर दो-तीन चरणों में जैसे-तैसे पूरा कर पहुंचने वालों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके राज्यों की सीमा तक पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में बसों की व्यवस्था की है। रूट भी तय किए गए हैं। जिसके जरिए श्रमिकों को निःशुल्क उनके राज्यों के सीमा तक भिजवाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारी सीमावर्ती राज्यों के अधिकारियों से समन्वय बनाकर इस चुनौती पूर्ण काम को बेहद संजीदगी के साथ पूरा करने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अहम फैसला यह भी लिया है कि राज्य के ऐसे प्रवासी श्रमिक परिवार, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। उन श्रमिक परिवारों मई और जून माह का प्रति सदस्य की मान से पांच किलो खाद्यान्न निःशुल्क दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ की श्रमिकों की वापसी के लिए, जहां ट्रेनों और बसों की निःशुल्क व्यवस्था की है, वहीं राज्य के अन्य जिलों में लाॅकडाउन के वजह से फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को उनके गृह ग्राम तक सकुशल पहुंचा जा रहा है।
रायपुर। छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की तबीयत शनिवार की सुबह अचानक बिगड़ गई है। सांस लेने में तकलीफ की शिकायत पर उन्हें राजधानी रायपुर के एक नीजि अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि सुबह नास्ते के दौरान उन्हें अचानक सीने में तेज दर्ज महसूस हुआ और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। इस दौरान उनकी पत्नी रेणु जोगी साथ में मौजूद थीं। इसके बाद उन्हें तत्काल एक निजी अस्पताल लाया गया। रायपुर स्थित नारायण अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार अजीत जोगी को cardiac arrest आया है और फिलहाल उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।
रायपुर, 07 मई 2020 श्रम मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के निर्देश पर रायगढ़ स्थित शक्ति पल्प एंड पेपर लिमिटेड, ग्राम तेताला, जिला रायगढ़ के संचालक को नोटिस जारी कर क्यों न लायसेंस निरस्त किया जाय के संबंध में तीन दिवस के भीतर जवाब मांगा गया है। ज्ञात हो कि 06 मई को कारखाने स्थित बैक वाटर टैंक की सफाई के दौरान गैस रिसाव के कारण 7 श्रमिक घायल हो गए हैं। जिनका इलाज जारी है।
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा रायगढ़ के उपसंचालक द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि 6 मई को आपके कारखाने में स्थापित बैक वाटर टैंक की सफाई कार्य में 7 श्रमिकों को नियोजित किया गया था। कारखाने में निर्माण प्रक्रिया में क्लोरीन गैस का प्रयोग किया जाता है। बैक वाटर टैंक में मशीन चेस्ट से फाइन फाइबर स्लरी फार्म में आकर एकत्रित होता है। निरीक्षण के दौरान जानकारी प्राप्त हुई है कि 20 मार्च 2020 से कारखाने में निर्माण प्रक्रिया बंद थी, जिससे बैक वाटर टैंक जो की एक कन्फाईद स्पेस है में खतरनाक गैस एकत्रित होने की पूर्ण संभावना विद्यमान थी, लेकिन सफाई कार्य प्रारंभ करने के पूर्व आपके द्वारा इस टैंक की जहरीली गैस की उपस्थिति हेतु जांच नहीं कराई गई, टैंक में कार्यरत श्रमिकों को आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण सेल्फ कंटेंड ब्रीदीग ऑपरेट प्रदान कर उपयोग नहीं कराया गया और ना ही उक्त कार्य किसी प्रशिक्षित सुपरवाइजर की उपस्थिति में कराया गया, जिससे सफाई कार्य के दौरान छह मई को दोपहर लगभग 3.15 बजे 7 श्रमिक जहरीली गैस की चपेट में आकर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। जिनमें से तीन श्रमिकों की स्थिति अभी गंभीर हैं। आपके द्वारा इस दुर्घटना की जानकारी कारखाना निरीक्षक को नहीं दी गई। कारखाना अनुज्ञप्ति जारी करते समय आप से यह अपेक्षा की जाती हैं की आपके द्वारा कारखाने में कार्यरत श्रमिकों की स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे, जिसका अनुपालन आपके द्वारा नहीं किया गया है। अतः आपके द्वारा किए गए कारखाना अधिनियम प्रावधानों के गंभीर उल्लंघनो को दृष्टिगत रखते हुए आप को निर्देशित किया जाता है कि पत्र प्राप्ति से तीन दिवस की अवधि में अधोहस्ताक्षरकर्ता को अपना जवाब प्रस्तुत कर बतावें की क्यों न आपके कारखाने को जारी कारखाना अनुज्ञप्ति निरस्त की जावे।
कहा लॉक डाउन में फंसे गरीब और जरूरतमंद करेंगे उपयोग तो माँ की आत्मा को मिलेगी शांति..
BBN24NEWS रायपुर 26 अप्रैल2020/ कहते हैं दान से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता..खास मौके में दान का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा ही मौका आज था, अक्षय तृतीया का। देवेंद्र नगर में रहने वाले नवीन पाठक की माँ स्वर्गीय श्रीमती प्रतिमा पाठक की आज बरसी थी। बेटे को याद है कि जब मां जीवित थी तब आज के दिन वह अपने हाथों से अन्न, जल सहित अन्य सामग्रियों की दान किया करती थी। अपनी माँ की इस परंपरा को बेटे ने भी जारी रखा है। चूंकि अभी लॉक डाउन है ऐसे में बेटे को वर्तमान में ऐसे बहुत से गरीब, बेसहारा है जो फसे हुए है और राहत कैम्पों में है और जिन्हें सहायता की सख्त जरूरत है, की कठिनाईयाँ भी जेहन में आईं । उन्हे रायपुर जिला में कलेक्टर की पहल पर संचालित डोनेशन ऑन व्हील्स की जानकारी भी थी, जिससे जरूरमंद परिवारों तल राशन पहुचाई जा सके। नवीन पाठक ने जरा भी देरी नहीं की। अपनी माँ की बरसी को यादगार बनाने और उनकी आत्मा को सुकून देने डोनेशन ऑन व्हील्स को घर बुलाया और अपनी पत्नी श्रीमती विनिता पाठक के साथ मिलकर 210 किलो आटा दान किया।
पाठक परिवार की इस सहयोग का कलेक्टर डॉ एस भारतीदासन और अन्य अधिकारियों ने खूब प्रशंसा की।
"डोनेशन ऑन व्हील्स"कार्यक्रम को शहरवासियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। सभी अपने अपने स्तर पर सहयोग कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस पहल में बड़ों के साथ बच्चे भी भागीदार बन रहे हैं। इस अभियान का नेतृत्व कर रहे नोडल अधिकारी डॉ गौरव कुमार सिंह ने बताया कि एक ओर जहां बच्चे अपने जन्मदिन को यादगार बनाने दान कर रहे है वही कुछ बच्चे गुल्लक में जमा किए अपने पैसे भी दान कर रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने की गई लॉक डाउन की वजह से संकट में फसे गरीबों, बेसहारों और जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य कमाने के इस घड़ी में सभी भागीदार बनना चाहते है।
भारतीय संस्कृति में अक्षय तृतीया दिन का अपना अलग ही महत्व है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति किसी प्रकार का दान करता है,वह अक्षय बना रहता है। नवीन पाठक का मानना है कि हमारे इस दान से माँ की आत्मा को जरूर शान्ति मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने की लोक निर्माण विभाग के काम-काज की समीक्षासड़क किनारे विभागीय जमीनों का हो व्यावासयिक उपयोग
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सांसद सुनील सोनी को यदि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बातों पर ग़ुस्सा आ रहा है तो यह उनकी नासमझी है. उन्हें समझना होगा कि कोरोना टेस्ट के लिए किट और चिकित्साकर्मियों के पीपीई (पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट) भेजने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी और राज्य के बार बार अनुरोध के बाद भी इसका इंतज़ाम नहीं किया गया. उन्हें पता होना चाहिए कि करोना जांच केंद्रों की स्वीकृति भी केंद्र सरकार ही देती है. शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यदि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में होता तो अब तक कई केंद्र स्थापित कर दिए गए होते. लेकिन केंद्र की ओर से पहले एम्स रायपुर को अधिकृत किया गया और फिर जगदलपुर में एक केंद्र को स्वीकृति मोदी सरकार ने दी है. अब जाकर रायपुर मेकाहारा को स्वीकृति मिली है.
उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री बघेल ठीक ही कह रहे हैं कि विश्व में करोना फैले होने के बावजूद विमानतल में विदेश से आने वालों की जांच की और उनको क्वेरिनटाइन करने की कोई भी व्यवस्था केंद्र सरकार ने नहीं की. केंद्र सरकार ने विदेशों से आने वाले इन लोगों के आने की कोई सूचना और जानकारी राज्य सरकारों से साझा नहीं की.
भाजपा सांसदों ने छत्तीसगढ़ के बजाय मोदी को चुना
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के सांसदों को तो छत्तीसगढ़ में कोरोना पर कुछ कहने का हक़ ही नहीं है क्योंकि वे चुने तो छत्तीसगढ़ से हैं लेकिन अपनी सांसद निधि का पैसा उन्होंने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री राहत कोष में देने की बजाय विवादित ‘पीएमकेयर्स’ में देना ठीक समझा.
उन्होंने कहा है कि भाजपा के सभी नौ लोकसभा सांसदों और दो राज्यसभा सांसदों की करतूत पर छत्तीसगढ़ की जनता नज़र रख रही है. वह देख रही है कि संकट के समय भी भाजपा सांसदों ने छत्तीसगढ़ में अपनी सांसद निधि का पैसा नहीं दिया. संचार विभाग के प्रमुख ने कहा है कि भाजपा सांसदों को आइने के सामने खड़े होकर देखना चाहिए कि वे किस मुंह से छत्तीसगढ़ की उस सरकार को कोस रहे हैं जो दिन रात उनकी भलाई में लगी हुई है.
छत्तीसगढ़ सरकार देश भर में गए हुए छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों को राहत पहुंचाने में खाना राशन मुहैया कराने में और जहां जरूरत है वहां राशि उपलब्ध कराने में लगी हुई है अन्य राज्यों के छत्तीसगढ़ में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को भी खाना राशन से मदद की जा रही है
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गरीबों और मजदूरों को पहुंचाई जा रही इस मदद में सहभागी बनने और सहयोग करने के बजाय भाजपा सांसद सुनील सोनी इस मामले में स्तरहीन राजनीति कर रहे हैं