कोई नही किसी से कम, दंगल मे दिख रहा दोनों का दम
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चुनावी बिगुल बजने एवं सात चरणों मे चुनाव की घोषणा के साथ ही रण मे योद्धा कूद पड़े है और अपने अपने तरीके से योद्धाओं की जोर अजमाईस जारी है , वैसे तो इस दफा लोकसभा चुनाव मुद्दों से लबरेज किन्तु सीमित दायरे का संग्राम नजर आ रहा है जिसके तहत मोदी बनाम महागठबंधन के दायरे मे सिमटे हुए इस चुनाव मे स्थानीय मुद्दे एवं प्रत्याशी प्रभाव गायब है किन्तु व्यक्तिवादी केन्द्रित राजनीति वाले भाटापारा जैसे कुछ जगहों पर अवश्य ही प्रत्याशी चेहरे पर आंकलन का दौर दिख रहा है और जनमानस चेहरे की चमक एवं उसके प्रभाव पर तुलनात्मक अध्ययन करते नजर आ रहें है इसी आधार पर रायपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सुनील सोनी एवं कांग्रेस के प्रमोद दुबे के व्यक्तित्व की छाप जो उभर कर आ रही है उसके विवेचन की बानगी प्रस्तुत है,
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पृष्ठभूमि मे एकरूपता
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महापौर बनाम पूर्व महापौर के दंगल मे गौर किया जाए तो दोनों प्रतिद्वंद्वियों की राजनैतिक पृष्ठभूमि एक है और दोनो का राजनैतिक जीवन पार्षद पद के सफर से शुरू होकर रायपुर नगर निगम के महापौर के दायित्व तक पहुँचा है इस लिहाज से दोनो की कार्यशैली एवं सफलताओं एवं उपलब्धियों का आंकलन जनमानस द्वारा इस क्षेत्र मे किए गये उनके कार्यों के आधार पर किया जा रहा है और भाटापारा के जनमानस के बीच इन्ही बिन्दुओं पर चर्चाओं का दौर जारी है,
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भारी पड़ते सुनील सोनी
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महापौर के कार्यकाल के आंकलन की प्रक्रिया मे इतिहास के पन्ने पलटने शुरू हो गयें है, चूंकि भाटापारा का रायपुर से रिश्ता एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले जैसा है, इसकी बानगी प्रतिदिन देखने को मिलती है क्योंकि भाटापारा के अधिकतर रहवासियों का प्रतिदिन का संबंध रायपुर से है, इसलिए रायपुर की प्रत्येक गतिविधि से भाटापारा पूरी तरह परिचित रहता है, इसी आधार पर जनमानस सुनील सोनी के महापौर कार्यकाल को याद करते हुए कहते है, आज देशभर मे स्वच्छता अभियान की पहल चल रही है किन्तु उस दौर मे जब यह मुद्दा उतना अहम नही था उस समय उनके द्वारा जनसहयोग से स्वच्छता को क्रियान्वित करने का अहम प्रयास किया गया था एवं जनसहयोग से घर घर मे स्वच्छता पात्र रखने की कोशिश की गई थी, इसके अलावा अन्य क्षेत्र मे भी महापौर की भूमिका मे वे खरे उतरते जान पड़े थे, जनमानस का यह भी कहना था अपने कार्य की बदौलत जो उन्हे लोकप्रियता प्राप्त हुई उसके मुकाबले प्रमोद दुबे के कार्यकाल मे उस तरह के आयामों का अभाव नजर आ रहा है,
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व्यक्तित्व पर प्रमोद का प्रभाव
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अपनी कार्यशैली एवं आयामों के आधार पर भले ही सुनील सोनी जी भारी पढ़ते दिख रहें हों, किन्तु कार्यकर्ताओं के बीच प्रमोद दुबे जी की पकड़ एवं हसमुख मिलनसार स्वभाव एवं सभी से जल्द घुलमिल जाने की उनकी प्रवृत्ति जनमानस की नजर मे प्रभावकारी एवं व्यवहार की राजनीति मे प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले भारी पड़ते नजर आ रहें हैं, अब देखना यही है कि कहीं पर कोई भारी तो कहीं पर कोई भारी मे अंततोगत्वा पलडा किसका भारी होता है
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