खबरीलाल रिपोर्ट (वृंदावन) ::- जो भगवान के अनन्य भक्त हैं वे भगवान के स्वरूप ही माने जाते हैं :: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती।।
ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने वृंदावन धाम स्थित मलूक पीठ के पीठाधीश स्वामी राजेन्द्र दास जी महाराज के जन्मोत्सव में कहा - जो भगवान के अनन्य भक्त हैं वे भी भगवान के स्वरूप ही माने जाते हैं। महाराजश्री ने आगे कहा कि भगवान समस्त विश्व मे है और विश्व उनका स्वरूप है। भगवान श्रीराम ने अपने अनन्य भक्तों को संबोधित कर बताया कि मैं सेवक हूँ और सारा विश्व मेरे सामने भगवान राम हैं। इस तरह का भाव जिसका है वे भागवत कहलाते हैं और उन भागवतों में ऐसे अनेक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने आज सनातन धर्म को बचा कर रखा है। पूज्य महाराजश्री ने बताया कि मलूक दास जी मुग़ल शासक के समय रहे, वो बड़ा संकट का समय था और उसमे भी औरंगज़ेब का जो शासन था वो तो हिंदुओं के लिए बड़ा दमनकारी था। उस समय जो भी महापुरुष थे उन्होंने सनातन धर्म को बचा कर रखा। अगर कोई व्यक्ति छुपकर पाप करता है और सोचता है उसे कोई नहीं देख रहा है तो वो गलत है। उसे भगवान देख रहा है। उसका आत्मा देख रहा है और वही आत्मा परमात्मा है। यही शिक्षा यदि लोगों तक पहुंच जाए तो अपराध खत्म हो जाएंगे। हम लोग कहा करते हैं कि दो आंख को तो धोखा दे सकते हो पर परमात्मा के हजारों आंखों को कैसे धोखा दोगे ? आप सभी धर्म रक्षा के कार्य मे सहयोग करें और अपने मठों से निकलकर लोगों के बीच पहुंचे और उन्हें जागृत करें।
पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के मलूक पीठ पर पहुंचते ही भव्य स्वागत किया गया तथा पुष्प वर्षा करते हुए उन्हें मंच तक ले आये और मलूक पीठ के पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी महाराज ने उनका सम्मान किया एवं पादुका पूजन किये। इस अवसर पर पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि तथा द्वारका पीठ के मंत्री दंडी स्वामी सदानन्द सरस्वती, निज सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द महाराज, दंडी स्वामी सदाशिवेंद्र सरस्वती, ब्रह्मचारी ब्रह्म विद्यानन्द महाराज, ब्रह्मचारी कैवल्यानन्द महाराज, ब्रह्मचारी रामेश्वरानन्द महाराज, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद महाराज व आदि सन्त, महात्मा एवं भक्तगण विशेष रूप से उपस्थित हुए।
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