जन्मदिन विशेष :: स्वामिश्री: द्वारा रचित कविता ।।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिष्य प्रतिनिधि व क्रांतिकारी सन्त दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा अपने गुरु भाई तथा महाराजश्री के शिष्य प्रतिनिधि व द्वारका पीठ के मंत्री दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर खुद के द्वारा रचित कविता से उन्हें बधाई प्रेषित किये।
विद्याधर से तात मात श्री मानकुंवर सी।
एक एक से भ्रात भगिनियां भांति भ्रमर सी
गुरु पायो जगत्रात इष्ट ललिता नवचण्डी ।
सदानन्द छितरात जात
जहं आज ये दण्डी ।
श्रीगुरुवर के काज आज यह करत निरन्तर ।
छवि ललाम लखि राखि सदा हृदय के अन्तर ।
जात जहाँ पठवात
भिलाई या भीवण्डी ।
गनत न दिन अरु रात
न गर्मी अथवा ठण्डी ।।
सहत सदा बिधि बाण
जो अपने अपर चलावत ।
सबही की सुधि लेत
न हिंसा उर में लावत ।
अर्थी जन के हेतु हरी
फहरावें झण्डी ।
हर चाहत मिलि जात यहाँ
यह ऐसी मण्डी ।
कहता है अविमुक्त न करता फल की आशा।
जो निकली है आज वो है हिरदै की भाषा ।
सत्य सनातनधर्म बढे
घट जायं पाखण्डी ।
करेंगे ऐसा काज
सदानन्द स्वामी दण्डी ।
साठ वर्ष हो गये आज जिनमें से चालीस ।
श्रीगुरुवर के पास करी सेवा है खालिस ।
चालीस सेवा और निरन्तर करें अमन्दी ।
श्रीगुरुवर शिव रहें सदानन्द होवें नन्दी ।
अविमुक्तेश्वरानन्दः
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